जब-जब विदेश घूमने जाते हैं पार्टी के मुखिया, तब-तब क्यों होती है TDP में टूट

तेलुगु देशम पार्टी के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों ने बीजेपी का दामन थाम लिया. मालूम हो कि जब ये सब प्रकरण हो रहा था तब टीडीपी प्रमुख यूरोप में छुट्टियां मना रहे थे. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब पार्टी में टूट हुई हो और न ही पहली बार ऐसा हुआ है कि पार्टी में टूट के दौरान उसका मुखिया राजधानी या देश से बाहर हो.
इससे पहले भी अगस्त 1995 में टीडीपी टूटी थी. तब चंद्रबाबू नायडू के ससुर और टीडीपी प्रमुख एनटीरामा राव अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी थे और उनके दामाद चंद्रबाबू राजस्व मंत्री. एनटीआर राजधानी से दूर श्रीकाकुलम में थे तब चंद्रबाबू ने तख्तापलट कर दिया और खुद राज्य के मुख्यमंत्री की कमास संभाली.
One Nation-One Election मजबूरी या जरूरी ?
नाडयू के ससुर एनटी रामाराव ने इसके बाद नई पार्टी एनटीआर टीडीपी का गठन किया. हालांकि अगले साल जनवरी 1996 में उनका निधन हो गया. ऐसा ही एक वाकया 1984 का भी है. जब टीडीपी में पहली बार टूट की घटना सामने आई थी.
1984 में भी एनटी रामाराव राज्य के मुख्यमंत्री थे और इलाज के लिए अमेरिका गए थे. तब उनकी गैरहाजरी में कैबिनेट में उनके सहयोगी रहे एन भास्कर राव ने सरकार गिराने का प्रयास किया और खुद मुख्यमंत्री बन गए. हालांकि विधानसभा से लेकर राज्य के गलियारों तक मजबूत पकड़ रखने वाले एनटीआर के प्रभाव के चलते महीने भर बाद भास्कर को इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद एनटीआर फिर से मुख्यमंत्री बने.
अब एक बार फिर पार्टी टूट की कगार पर है और पार्टी प्रमुख विदेश से ही बयानबाजी कर इसे बीजेपी की साजिश बता रहे हैं. यहां सवाल यह उठता है कि एक बार खुद पार्टी को तोड़ने वाले नायडू इस बार पार्टी को टूटने से बचा पाएंगे या नहीं.

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