जमीनी अड़चनें हटाने का राज्य ने वादा किया, केंद्रीय टीम ने भी दूसरी जगह का विकल्प नहीं मांगा

अरावली के आरक्षित वन क्षेत्र में होने के बावजूद मनेठी की जमीन राज्य सरकार के आश्वासन से ही एम्स के लिए हर स्तर पर पास होती चली गई। राज्य सरकार ने केंद्र को लिखित में आश्वासन दिया था कि जमीन संबंधी सभी अड़चनें दूर करने के बाद ही एम्स के लिए सुपुर्द की जाएगी। इसलिए केंद्र की टीम ने दूसरी जगह का विकल्प नहीं मांगा। 
अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार कमेटी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो जमीन एम्स के लिए देखी गई है वह आरक्षित वन क्षेत्र में है। इसलिए एम्स के लिए दूसरी जमीन की तलाश की जाए। अब रेवाड़ी के डीसी ने इस जमीन का रिकॉर्ड तलब किया है। शुक्रवार को बैठक में मनेठी की जमीन का नक्शा देखा जाएगा, ताकि पहाड़ी एरिया को छोड़कर बाकी जगह का इस्तेमाल हो सके। वहीं, मनेठी एम्स संघर्ष समिति 23 जून की बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह से मिलेगी।
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के डायरेक्टर संजय रॉय का कहना है कि हमने साइट विजिट के बाद हरियाणा के मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाम पत्र लिखकर सभी जरूरी शर्तों से अवगत करा दिया था। राज्य सरकार ने लिखित कमिटमेंट किया था कि जमीन बगैर किसी अड़चन के दी जाएगी। इसलिए कैबिनेट तक एम्स का प्रस्ताव लेकर गए।
 

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