इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड का रूट बदलेगा, अब नहीं काटने पड़ेंगे 55 हजार पेड़, सहमति बनी

लंबे अरसे से फॉरेस्ट की एनओसी के फेर में फंसे इंडो-नेपाल बार्डर रोड प्रोजेक्ट का रूट बदला जाएगा। पर्यावरण और वन्य जीवों के मद्देनजर इस पर करीब-करीब सहमति बन चुकी है। जहां पहले से ही बॉर्डर से सटी सड़कें हैं, वहां उन्हीं से काम चलाया जाएगा। पहले निर्धारित रूट में जहां 55 हजार पेड़ कटने थे, वहीं अब सड़क के प्रस्तावित सीमांकन में सिर्फ 1500-2000 पेड़ ही काटे जाएंगे।
यूपी के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महराजगंज और सिद्धार्थनगर से सटी 570 किलोमीटर लंबी भारत-नेपाल सीमा है। इसमें से 299 किमी सीमा टाइगर रिजर्व, सेंक्चुअरी (वन्य जीव अभ्यारण्य) और आरक्षित वन क्षेत्र के अंतर्गत है।
भारत में नेपाल के रास्ते से ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई नकली करेंसी भेजती है और आतंकियों के भी घुसने की घटनाएं होती रहती हैं। इसके मद्देनजर वर्ष 2011 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंडो-नेपाल बॉर्डर रोड बनाने के लिए सैद्धांतिक सहमति दी थी। हाल में अभी नेपाल के रास्ते भेजे गए दो हजार रुपये के नकली नोट भी पकड़े गए थे।

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