विश्व बैंक का हिमाचल सरकार को झटका, सबट्रोपिकल में पैसा खर्च करने से किया मना Shimla News

विश्व बैंक ने 1134 करोड़ रुपये के बागवानी प्रोजेक्ट में हिमाचल सरकार को झटका दे दिया है। उसने उप उष्णकटिबंध (सबट्रोपिकल) में पैसे को न खर्च करने को कहा है। प्रदेश में नई सरकार के बनते ही मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने इस प्रोजेक्ट को रिव्यू करने के बाद पैसे को सबट्रोपिकल पर खर्च करने का प्रस्ताव तैयार करवाया था।
पूर्व कांग्रेस सरकार के समय 2016 में मंजूर किए इस प्रोजेक्ट के संबंध में विश्व बैंक की टीम ने शुक्रवार को मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में शिमला में मिड टर्म रिव्यू किया। बैठक में विश्व बैंक की 12 सदस्यीय टीम, अतिरिक्त मुख्य सचिव बागवानी आरडी धीमान और प्रोजेक्ट के मिशन निदेशक आइएएस दिनेश मल्होत्रा के अलावा कई अधिकारी शामिल हुए। प्रोजेक्ट का मकसद बागवानों की आर्थिकी में सुधार, फलों के उत्पादन को बढ़ाना और युवाओं को रोजगार मुहैया करवाना है।
विश्व बैंक ने सवाल उठाया है कि जब सबट्रोपिकल के लिए अलग से प्रोजेक्ट स्वीकृत किया है तो टेंपरेट जोन के लिए ही इस प्रोजेक्ट को चलाया जाए। विश्व बैंक की टीम ने तीन जून से हिमाचल का दौरा किया और कुल्लू, चंबा और किन्नौर में किए जा रहे कार्य जांचे। टीम ने नौणी विश्वविद्यालय के कार्यो के प्रयासों की सराहना की है और कोल्ड स्टोरेज सहित फूड प्रोसे¨सग के लिए उपकरणों को स्थापित करने को कहा। क्या है टेंपरेट और सबट्रोपिकल उष्णकटिबंध और शीतकटिबंध के बीच का क्षेत्र टेंपरेट (न ज्यादा गर्म, न ज्यादा ठंडा) कहलाता है।
 
इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि यहां गर्मी और सर्दी के मौसम के तापमान में अधिक अंतर नहीं होता है। इस प्रोजेक्ट के तहत सेब, नाशपाती, खुमानी, अखरोट, आड़ू, प्लम और चेरी का उत्पादन अधिक होता है। वहीं सबट्रोपिकल (उप उष्णकटिबंध) में लीची, आम, अमरूद और नींबू प्रजाति के पौधे लगाए जाते हैं। विश्व बैंक की टीम के साथ समीक्षा बैठक हुई। उसने पैसा सबट्रोपिकल में न खर्चने को कहा है। बैंक के पदाधिकारियों ने कहा कि जब सबट्रोपिकल के लिए अलग से प्रोजेक्ट आ गया है तो इसकी जगह दूसरे प्रोजेक्ट का पैसा न खर्चा जाए।

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