छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार में क्यों ठगा महसूस कर रहे हैं 'ईमानदार' किसान?

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के ननकट्ठी गांव में किसानी करने वाले रवि प्रकाश ताम्रकार ने कृषि कार्य के लिए जुलाई 2018 में बैंक ऑफ इंडिया से 2 लाख रुपये कर्ज लिया था. रवि प्रकाश को उम्मीद थी कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद उनका कर्ज माफ कर दिया जाएगा. रवि प्रकाश कहते हैं बैंक से लेन देन में आगे कोई दिक्कत न हो, इसलिए हर महीने ईमानदारी से ब्याज जमा कर रहे हैं.

दुर्ग में छत्तीसगढ़ किसान संगठन का नेतृत्व करने वाले रवि प्रकाश ताम्रकार का कहना है कि भूपेश सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंक के डिफाॅल्टर खाताधारक किसानों को राहत देने का फैसला कैबिनेट में लिया है, लेकिन हम जैसे ईमानदारी से कर्ज की किश्त व ब्याज जमा करने वाले किसानों के लिए फिलहाल कोई राहत नहीं दी गई है. ऐसे में हम जैसे किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

नया लोन लेने में दिक्कत

बेमेतरा जिले के बेरला ब्लॉक के हसदा गांव में करीब 4 एकड़ जमीन पर केला की खेती करने वाले दुर्गाशंकर परगनिया कहते हैं, 'मैंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कृषि कार्य के लिए 4 लाख रुपये कर्ज लिए थे. भूपेश सरकार ने राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों का कर्ज भी माफ करने का ऐलान किया है. लेकिन अब तक कर्ज माफ नहीं किया गया. कर्जमाफी की उम्मीद में फरवरी में सरकार के ऐलान के बाद मैंने बैंक का ब्याज जमा नहीं किया. इसके चलते नया लोन मिलने में दिक्कत हो रही है. जबकि इससे पहले मैंने ईमानदारी से बैंक का ब्याज जमा किया.'

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