राजस्थान में अब 'वीर' नहीं रहे सावरकर

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के महज़ छह महीनों के भीतर स्कूली किताबों में कई बदलाव किए हैं. अख़बार लिखता है कि राजस्थान बोर्ड की नई किताबों में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में विनायक दामोदर सावरकर के नाम के आगे से 'वीर' हटा दिया गया है.
अगर छह महीने पहले और अब की किताबों पर नज़र डालें तो दोनों में बड़ा फ़र्क़ नज़र आता है. पुरानी किताबों में यानी बीजेपी सरकार के दौरान किताब में सावरकर के नाम के आगे 'वीर' लगाया गया है और इसमें विस्तार से बताया गया है कि सावरकर ने भारत की आज़ादी की लड़ाई में किस तरह अपना योगदान दिया. 
सावरकरनई किताबों में
नई किताबों में यानी कांग्रेस की सरकार में छपने वाली किताबों में सावरकर के नाम के आगे से 'वीर' हटा दिया गया है और उन्हें 'विनायक दामोदर सावरकर' कहकर सम्बोधित किया गया है. इन किताबों में बताया गया है कि सेल्युलर जेल में अंग्रेज़ों की यातना झेलने के बाद सावरकर ने ख़ुद को कैसे 'पुर्तगाल का बेटा' बताया और भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया.
इतिहास की इन नई किताबों में बताया गया है कि महात्मा गांधी की हत्या के मामले में गोडसे के साथ सावरकर पर भी मुक़दमा चलाया गया था लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. सावरकर प्रसंग के अलावा भी अलग-अलग विषयों की किताबों में कई बदलाव किए गए हैं. जैसे, पुरानी किताबों में लिखा है कि अकबर हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को हराने में कामयाब नहीं रहे. इनमें कहा गया है कि मुग़ल सेना ने मेवाड़ की सेना का पीछा नहीं किया क्योंकि वो डरी हुई थी.
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दूसरी तरफ़ नई किताबों में कहा गया है कि महाराणा प्रताप अपने घोड़े 'चेतक' को मरते हुए छोड़कर युद्ध छोड़कर चले गए थे. नई किताबों में ये नहीं बताया गया है कि हल्दीघाटी के युद्ध में किसकी जीत हुई थी.
वहीं, 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुरानी किताबों में नोटबंदी के बारे में विस्तार से लिखा गया था और इसे 'काले धन का सफ़ाई अभियान' बताया गया था जबकि नई किताबों में नोटबंदी का कोई ज़िक्र नहीं है.

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