कांग्रेस को कैसे मिलेगी नई दिशा, मणिशंकर अय्यर ने सुझाए ये 3 फॉर्मूले

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के अंदर आत्ममंथन का दौर जारी है. इस बीच कांग्रेस की हार को लेकर पार्टी की रायबरेली सांसद सोनिया गांधी ने चुनाव प्रणाली पर सवाल उठाए हैं. वहीं, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का कहना है कि वो इस बात का पता लगाएंगी कि किस कार्यकर्ता ने चुनाव में मन लगाकर काम नहीं किया. इसी कड़ी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. करीब 18 महीनों के बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने किसी मंच पर अपनी राय रखी. कांग्रेस के अंदर गड़बड़ी के सवाल पर उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर कुछ परेशानियां हैं, लेकिन कांग्रेस का इतिहास बहुत पुराना है, ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस पार्टी हमेशा निकलकर बाहर आई है. उन्होंने कहा कि आज नहीं तो कल, और कल नहीं तो परसो, कांग्रेस इन परिस्थितियों से बाहर निकल कर आएगी. मणिशंकर अय्यर ने कहा कि हम राजनीति में सिर्फ सत्ता में रहने के लिए नहीं आए हैं. और यही कांग्रेस और बीजेपी के बीच का बुनियादी फर्क है. 
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राहुल गांधी का बचाव करते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा कि राहुल गांधी ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार की और शायद इसीलिए उन्होंने इस्तीफा दिया. कांग्रेस नेता के मुताबिक राजनीतिक दलों में आत्ममंथन की जरूरत हमेशा रहती है. कांग्रेस 1999 से ही इस पर काम कर रही है. उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने इससे पहले जो आत्ममंथन हुआ था, जो गलतियां हुईं थी उनमें से कुछ को स्वीकार किया गया था और कुछ को अस्वीकार. जिन्हें स्वीकार किया गया था उन्हें भी पूरी तरीके से पार्टी में लागू नहीं हुआ. अय्यर ने कहा कि हार की जिम्मेदारी सिर्फ किसी एक शख्स की नहीं बल्कि हम सभी वरिष्ठ साथियों की होती हैं.  
मणिशकंर अय्यर ने कहा कि मैं काफी लंबे समय से कांग्रेस को करीब से देखता हुआ आ रहा हूं. कांग्रेस के अंदर मतभेद पहली बार नहीं हो रहे हैं. इससे पहले भी हुए हैं. इन मतभेदों को संभालना ही शीर्ष नेतृत्व का काम है. और आज भी इन्हें संभालने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने इन मतभेदों के साथ बड़ी जीत भी दर्ज की है और बड़ी हारों का भी मिलकर सामना किया है. कांग्रेस नेता के मुताबिक पहले भी संभले हैं और आगे भी इससे संभलेंगे. 
मणिशंकर ने कहा कि कांग्रेस का एक बड़ा परिवार था जोकि टूटकर कई हिस्सों में बंट गया था. उनके अनुसार निजी राय पर भले ही सब अलग हो गए हों. लेकिन सैद्धांतिक तौर हम सब एक हैं. उन्होंने कहा कि उन लोगों को परिवार में वापिस लेकर आने की जरूरत है. मणिशंकर अय्यर ने राजीव गांधी के फार्मूले को याद करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने पंचायतों को भी लोकतंत्र का हिस्सा बनाने की पैरवी की थी. आज एक बार फिर से उस पर विचार करने की जरूरत है.    

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