पूर्वांचल के गन्ना किसानों की सुध क्यों नहीं ले रही है सरकार?

वर्ष 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में गन्ना किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने वाली भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार अपने शासन में उनकी समस्याओं को हल करने में असमर्थ नजर आ रही है.
उत्तर प्रदेश में अब भी गन्ना किसानों का 10,626 करोड़ रुपये बकाया है और जून के महीने में भी गन्ना अभी खेत में है. इस कारण कई जिलों में कुछ चीनी मिलें ख़राब रिकवरी का खतरा लेकर भी चलायी जा रही है. कुशीनगर जिले में अब भी तकरीबन एक लाख क्विंटल गन्ना खेत में खड़ा है.
इस स्थिति को लेकर गन्ना किसानों का गुस्सा जब तब फूट रहा है. गोरखपुर मंडल की नौ लोकसभा सीटों पर 19 मई को मतदान था. उस दिन कुशीनगर में चीनी मिल बंद होने और गन्ना न लिए जाने से नाराज गन्ना किसान गन्ना लदी गाड़ियां लेकर नौका छपरा और जुडवनिया मतदान केंद्र पर पहुंच गए और मतदान बहिष्कार करने लगे.
अफसरों के लाख मनाने पर भी वे नहीं माने और आखिरकार आठ किसानों को गिरफ्तार करना पड़ा. ऐसा वाकया शायद ही किसी चुनाव में दिखाई दिया हो. ये गन्ना किसान कुशीनगर संसदीय क्षेत्र के कसया विधानसभा क्षेत्र के नौकछपरा गांव के थे. इन गन्ना किसानों का गन्ना रामकोला पंजाब चीनी मिल के रिजर्व क्षेत्र में आता है लेकिन यह चीनी मिल किसानों का गन्ना नहीं पेर पाई.
भाजपा का वादा और हकीकत
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पडरौना में सभा करने आए थे तो उन्होंने बंद चीनी मिलों का मुद्दा उठाया और कहा कि उनकी सरकार बनी तो 100 दिन में पडरौना चीनी मिल को चलाएंगे.
भाजपा 2014 का लोकसभा चुनाव जीत गई और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए. फिर आया 2017 का विधानसभा चुनाव. इस चुनाव में फिर बंद चीनी मिलें मुद्दा बनीं और भाजपा ने ही इसे प्रमुख मुद्दा बनाया.
भाजपा ने प्रदेश में गन्ना मूल्य बकाये को भी प्रमुख मुद्दा बनाया और प्रदेश में सरकार बनने पर चीनी मिल पर गन्ना गिरने के 14 दिन के अंदर गन्ना मूल्य भुगतान का वादा किया.
भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने चौरीचौरा की जनसभा में सरदारनगर की बंद चीनी मिल को चलाने और मिल कर्मचारियों व गन्ना किसानों के बकाया भुगतान का वादा किया था.
लेकिन दिल्ली और लखनऊ की सत्ता में काबिज होने के बाद बीजेपी को अपना वादा याद नहीं रहा. योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जरूर अपने संसदीय क्षेत्र गोरखपुर में पिपराइच और बस्ती जिले में मुंडेरवा में नई चीनी मिल की स्थापना के लिए धन दिया और दोनों चीनी मिलें बनकर तैयार हो गई हैं लेकिन इन चीनी मिलों के बनने का फायदा इस सत्र में गन्ना किसानों को नहीं मिला क्योंकि ये गन्ना सीजन के आखिर में चलने के लिए तैयार हो पाईं.
चुनावी लाभ के दोनों चीनी मिलों को कुछ दिन के लिए जरूर चलाया गया और फिर ‘नो केन’ की सूचना देकर बंद कर दिया गया. 

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