RWA प्रतिनिधियों का सवाल, जनता का पांच हजार करोड़ किसकी जेब में गया?

दिल्ली में बीते वर्ष बढ़ाए गए बिजली के फिक्स चार्ज का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फिक्स रेट की बढ़ी कीमतों पर चिंता जताते हुए इसे कम करने का वादा किया था, लेकिन दिल्ली के तमाम आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों ने केजरीवाल के इस दांव को राजनीति से प्रेरित और बिजली डिस्कॉम के घाटे वाले दावे को झूठा बताया.
पिछले वर्ष दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली तीनों ही कंपनियों ने फिक्स चार्ज कई गुना तक बढ़ा दिए थे. इसके पीछे बिजली कंपनियों ने तर्क दिया था कि उन्हें दिल्ली में बिजली सप्लाई के वक्त घाटा उठाना पड़ रहा है. बिजली कंपनियों का दावा है कि पिछले वर्ष BSES यमुना पावर लिमिटेड ने 64 करोड़ रुपये का घाटा बताया था.
वहीं, टाटा पावर ने पिछले वर्ष सौ करोड़ रुपये घाटा बताया, जबकि BSES राजधानी पावर लिमिटेड ने पिछले वित्तीय वर्ष में 124 करोड़ रुपये घाटा बताया था. ऐसे में अब दिल्ली की तमाम आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि एक तरफ बिजली कंपनियों के इन घाटों को पूरी तरह से फर्जी और गुमराह करने वाले आंकड़े के तौर पर बता रहे हैं, तो दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल के फिक्स चार्ज करने वाले बयान को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं.

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