जम्मू-कश्मीर की सियासत में हंगामा करता रहेगा कठुआ कांड

कठुआ कांड पर लगभग एक साल बाद फैसला आ गया है। अदालत ने छह लोगों को दोषी करार दे दिया है। लेकिन यह फैसला इस मामले पर हुई सियासत को ठंडा करेगा, इसकी उम्मीद नहीं। क्योंकि जम्मू-कश्मीर को इस मामले पर सांप्रदायिक आधार पर बांटने की साजिश करने ही नहीं विभिन्न राजनीतिक दल भी इसे अपनी जीत बताते हुए विरोधियों की हार बता, आगामी विधानसभा चुनावों के लिए वोटों का जुगाड़ करने का पूरा प्रयास करेंगे, यह तय है।
कठुआ के एक गांव की 8 साल की बच्ची 10 जनवरी 2018 को लापता हो गई थी। बच्ची को काफी तलाशने के बाद पिता ने 12 जनवरी को हीरानगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। लापता होने के 7 दिनों बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश क्षत-विक्षत हालत में मिली। बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या का दावा किया गया और पुलिस ने मामले की जांच शुरु कर दी। पीड़ित खानाबदोश गुज्जर समुदाय से थी और आराेपित हिंदु समुदाय से। लिहाजा इस मामले पर सियासत खूब हुई। एक जघन्य अपराध के खिलाफ अपराध को समाप्त करने या अपराधियों को दोषी करने के लिए कोई सियासत नहीं हुई, सिर्फ हिंदु-मुस्लिम समुदाय के नाम पर सियासत हुई।

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