क्या केंद्रीय बजट को इतना गुप्त रखना वाकई जरूरी है?

मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का पहला बजट बनाने में जुट गई है। इसलिए, आज से नॉर्थ ब्लॉक में क्वारंटाइन शुरू हो गया है। यानी, आज से 5 जुलाई को संसद में बजट पेश होने तक वहां आने-जाने वाले हरेक शख्स पर नजर रखी जाएगी। नॉर्थ ब्लॉक में ही वित्त मंत्रालय है। 
कड़ी निगरानी 
क्वारंटाइन का मतलब होता है अलग करना। वित्त मंत्रालय में क्वारंटाइन लागू होने का मतलब है कि उसे बाहरी दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया है यानी उसका बाहरी संपर्क पूरी तरह काट दिया गया है। क्वारंटाइन पीरियड में वित्त मंत्रालय के हरेक प्रवेश एवं निकास द्वार पर सुरक्षा बल तैनात रहेंगे जबकि खुफिया विभाग इंटिलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी दिल्ली पुलिस की मदद से हर उस शख्स पर नजर रखेंगे जो बजट निर्माण में लगे कर्मचारियों-अधिकारियों के कमरे में प्रवेश करेगा। निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वीपिंग मशीन लगाए गए हैं और मंत्रालय के ज्यादातर कंप्यूटरों में प्राइवेट ई-मेल की सुविधा रोक दी गई है। 
ब्लू शीट की रखवाली 
बजट निर्माण की प्रक्रिया में एक गुप्त कागज पर प्रमुख आर्थिक आंकड़े दर्ज किए जाते हैं। चूंकि कागज का रंग नीला (ब्लू) होता है, इसलिए इसे ब्लू शीट भी कहा जाता है। इस पर दर्ज किए गए आंकड़ों के आधार पर बजट की गणना की जाती है और नए आंकड़े आते ही इसमें बदलाव होता है। यह बजट से जुड़ी सर्वाधिक गुप्त वस्तुओं में एक होता है। सिर्फ संयुक्त सचिव (बजट) ही ब्लू शीट की रखवाली करते हैं। खुद वित्त मंत्री को भी इसे मंत्रालय परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं होती है। 

दो हफ्ते तक घर जाने की अनुमति नहीं 
बजट पेपर्स की प्रिंटिग शुरू होते ही निगरानी और बढ़ जाती है। प्रिटिंग से जुड़े लोगों को दो सप्ताह की इस अवधि में घर भी नहीं जाने दिया जाता है। वे नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट एरिया में कैद से रहते हैं जहां प्रिंटिंग प्रेस हैं। किसी तरह की ऑनलाइन चोरी (साइबर थेफ्ट) रोकने के लिए प्रेस एरिया के सारे कंप्यूटर्स के कनेक्शन नैशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) सर्वरों से काट (डीलिंक कर) दिए जाते हैं। गौरतलब है कि ऑफिशल सिक्रेट्स ऐक्ट के तहत बजट दस्तावेजों का लीक होना एक दंडनीय अपराध है। 

क्या है इतिहास? 
वैसे तो करीब-करीब सभी केंद्रीय बजटों को गुप्त रखा ही जाता था, लेकिन जब 1950 में बजट का कुछ हिस्सा लीक हो गया तो निगरानी बढ़ा दी गई। तब बजट दस्तावेजों की छपाई राष्ट्रपति भवन में होती थी। उसी वर्ष से छपाई का काम राष्ट्रपति भवन से हटाकर मिंटो रोड स्थित सरकारी प्रेस में होने लगा और 1980 से नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में बजट की छपाई हो रही है। 

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