पैसे की किल्लत से जूझ रही नार्थ एमसीडी, एलजी से की 3000 करोड़ के बेलऑउट पैकेज की मांग

उत्तरी दिल्ली नगर निगम एक बार फिर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है. निगम के पास अपने कर्मचारियों को सैलरी देने और अपने प्रोजेक्ट्स को चलाने का भी पैसा नहीं बचा है. निगम प्रशासन इसके लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है. उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर अवतार सिंह का कहना है कि दिल्ली सरकार ने निगम के हिस्से में मिलने वाले फंड में बेहिसाब कटौती कर दी है. ऐसे में निगम की माली हालत अचानक खराब हो गई है. शुक्रवार को नगर निगम की माली हालत को उप राज्यपाल के सामने मेयर ने उठाया और साथ ही राहत के लिए उठाए जाने वाले कदमों की मांग की.
उपराज्यपाल से मांगी मदद
मेयर अवतार सिंह ने लेफ्टिनेंट गवर्नर से मिलने के बाद मेयर ने बताया कि फंड की कमी के चलते कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ विकास कार्यों में भी मुश्किलें आ रही हैं. ऐसे में एमसीडी को जिन योजनाओं को शुरू करना था, उनमें से कई योजनाओं को वित्तीय संकट के कारण शुरू नहीं किया जा सका है. ऐसे में इस संकट से उभरने के लिए निगम को वित्तीय सहायता की जरूरत है. दरअसल उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दिल्ली की कुल 180 लाख आबादी में से लगभग 75 लाख लोगों को जो कि आबादी के लगभग 43% लोगों को नागरिक सेवाएं दे रही है.
ट्राईफिकेशन से बिगड़ गई बात
दिल्ली में शीला दीक्षित के राज में जब दिल्ली नगर निगम को तीन हिस्सों में बांटा गया, उसके बाद से ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम नुकसान में जाने लगी. इसके पीछे बड़ी वजह है कि अधिकतम राजस्व वाले क्षेत्र दक्षिणी दिल्ली नगर निगम यानी साउथ एमसीडी के पास चले गए और अधिकतम खर्च वाले क्षेत्र जैसे कि छह प्रमुख अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, आयुर्वेदिक अस्पताल, 100 औषधालय और लगभग 700 स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 3 लाख छात्रों को अल्पाहार जैसे खर्चे उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिस्से में आए. मेयर के मुताबिक इसके बाद ही इस खर्चे को दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान के रूप में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को दिया जाना था, जो दिल्ली सरकार ने अब तक नहीं दिया. ऐसे में अरविंद केजरीवाल सरकार को स्थिति की गंभीरता को समझना होगा.

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