राहुल गांधी की कांग्रेस क्या ख़ुद को बिखरने से बचा पाएगी?

हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस मात्र 52 सीटों पर सिमट गई. चुनाव से पहले कांग्रेस के कई नेता (टॉम वडक्कन, राज कुमार चौहान, एस कृष्ण कुमार) बीजेपी के खेमे में शामिल हो गए थे लेकिन चुनावों के बाद भी ये सिलसिला जारी है. चुनाव के बाद कांग्रेस के खेमे में नेताओं का जाना थम नहीं रहा है. कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
फ़िलहाल देश में कांग्रेस की सरकार राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पंजाब और पुदुचेरी में है. मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार नाज़ुक बहुमत और अपने सहयोगियों के समर्थन पर टिकी है. (114 कांग्रेस, 108 भाजपा, 7 अन्य) यहां सरकार पर लगातार ख़तरा बना हुआ है.
क्या कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के पीछे क्या एकमात्र वजह लोकसभा चुनावों में क़रारी हार है?
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी समझाती हैं, "2014 में ऐसा लगा कि यूपीए सरकार में जो खामियां थीं उसके कारण भाजपा आई और मोदी सरकर बनी. लेकिन इस बार भी कांग्रेस का तकरीबन उसी आंकड़े पर रहना और उसका वोट प्रतिशत गिरना और आत्मविश्वास की कमी होना, देखें तो लगता है कि कांग्रेस का पतन जारी है."
वो कहती हैं, "एक सतह पर इस तरह बात हो रही है कि प्रधानमंत्री की मार्केटिंग स्किल्स ज़्यादा अच्छी हैं, उनके पास संसाधनों की कमी नहीं थी. उनका संगठन मज़बूत था और उन्हें आरएसएस का समर्थन था इसलिए उनकी जीत हुई है."
"लेकिन मुझे लगता है कि कांग्रेस को और गहराई में जा कर देखना होगा कि समस्या क्या है." वहीं वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि कांग्रेस के लोगों का अपने नेतृत्व पर भरोसा कम हुआ है. "अधिकांश कांग्रेस नेता जो महत्वपूर्ण पदों पर हैं उन्हें लगता है कि नेहरू-गांधी परिवार का सदस्य ही उनका नेतृत्व कर सकता है."
वो कहते हैं कि अब ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी की भी इस बारे में कोई फ़ैसला लेने रूचि नहीं है. कांग्रेस को राहुल गांधी की इस्तीफ़ा स्वीकार कर लेना चाहिए. रशीद किदवई कहते हैं कि कांग्रेस भाजपा का विकल्प बनने की स्थिति में दिख नहीं रही. "मुझे लगता है कि अब भाजपा का विकल्प भाजपा के भीतर से ही आएगा जैसा पुराने ज़माने में 60 और सत्तर के दशक में कांग्रेस का विकल्प कांग्रेस ने ही निकला."
इस साल अप्रैल में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कांग्रेस से निष्कासित किए गए महाराष्ट्र विधानसभा में विधायक अब्दुल सत्तार ने भी दावा किया है कि उनके साथ कांग्रेस के 8 नेता हैं और वो बीजेपी के खेमे में शामिल हो सकते हैं. उन्होंने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर पार्टी अध्यक्ष को अपना इस्तीफ़ा सौंपा. उनका कहना है कि "इसका बड़ा कारण राज्य के कांग्रेस नेताओं से नाराज़गी है."

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