बेटे के लिए 'कुर्बानी' देने के बाद क्‍यों बेचैन हैं बीरेंद्र सिंह, जानें आक्रामक अंदाज का कारण

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए कुर्बानी देने के बाद आजकल सियासी तौर पर बेचैन दिख रहे है। मोदी मंत्रिमंडल-दो में खुद या बेटे को स्थान नहीं मिलने के बाद उनके तेवर आक्रामक हो गए हैं। वह अपनी चिरपरिचित राजनीतिक शैली पर उतर आए हैं। वह सत्ता के केंद्र से दूर रहने के बाद अपने ही दल को किसी न किसी बहाने से कटघरे में खड़ा कर देते हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी उन्‍होंने ऐसा किया था और अब भाजपा में भी उनका यही अंदाज सामने आया है। वह कांग्रेस में रहते हुए ततकालीन मुख्यमंत्री भजन लाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ उनकी मोर्चाबंदी बेशक अतीत है लेकिन भाजपा में आने के बाद भी उन्होंने अपना मिजाज नहीं बदला है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार को राज्य में महिला सुरक्षा और बढ़ते अपराधों पर घेरते हुए उनके बयानों में जो टीस सामने आ रही है, उसके केंद्र में कहीं न कहीं केंद्रीय मंत्री पद भी है। इतना ही नहीं उनके समर्थकों को तो यह भी लगता है कि यदि बीरेंद्र सिंह वंशवाद के चक्कर में नहीं पड़ते तो मोदी मंत्रिमंडल-दो में भी वह किसी न किसी प्रभावी मंत्रालय में मंत्री होते। शायद यही बात बीरेंद्र सिंह को भी टीस दे रही है और उनकी गुस्‍सा या 'खीज' सामने आ रही है।

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