'नई सरकार का एजेंडा समानता के साथ विकास होना चाहिए'

गरीबों की आय बढ़ाने के लिए फौरी उपायों की जगह ऐसे मजबूत उपायों की जरूरत है जो विकास को पुनर्जीवित करने और टिकाऊ बनाए रखने के लिए प्रभावशाली हों. पिछले तीन वर्षों में देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में काफी गिरावट आई है. जीडीपी 2016-17 में 8.2% के मुकाबले 2018-19 में गिरकर 7% तक आ गई है.
Read News ममता को मंजूर नहीं EVM, बोलीं-EVM से आया नतीजा लोगों का जनादेश नहीं
नई सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम होना चाहिए कि वह इस थमी हुई अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने का काम करे. जीडीपी में गिरावट को लेकर वित्त मंत्रालय का स्पष्टीकरण है: “इस मंदी के लिए तात्कालिक कारक जिम्मेदार हैं. निजी उपभोग में गिरावट, स्थायी निवेश में उत्साह की कमी और निर्यात में सुस्ती की वजह से ऐसा हुआ है. आपूर्ति के लिहाज से, हमारे सामने कृषि क्षेत्र के विकास में गिरावट रोकने और उद्योगों की ग्रोथ बनाए रखने की चुनौती है.”
जब पूरी अर्थव्यवस्था पकड़ से बाहर नजर आ रही है, निजी उपभोग बेहद महत्वपूर्ण है जो लंबे समय से विकास का मुख्य कारक रहा है. 2017-18 और 2018-19 के दौरान इसने जीडीपी में (मौजूदा दरों पर) करीब 60 फीसदी का योगदान दिया है. उपभोग में गिरावट यह संकेत देती है कि मांग घट रही है और इसको तत्काल पुनर्जीवित करने की जरूरत है.

More videos

See All