गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाने का प्रस्ताव देने वाली शिक्षा नीति के मसौदे पर विवाद जारी है. रविवार को केंद्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि किसी भी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
और विदेश मंत्री एस जयशंकर
ने इस मामले में अपने ट्विटर पर संदेश प्रसारित किए और यह भरोसा दिलाया कि इस ड्राफ्ट को अमल में लाने से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी. मोदी सरकार के ये दोनों ही मंत्री तमिलनाडु से हैं.
Read News-
मोदी सरकार के फैसले पर भड़के DMK नेता स्टालिन, कहा-तमिलों के खून में हिंदी नहींगौरतलब है कि तमिलनाडु इस मामले में सबसे ज्यादा विरोध दर्ज करवा रहा है. इसलिए मोदी सरकार के मंत्रियों ने यह ट्वीट तमिल में किए. उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी लोगों से अपील की थी कि वह नयी शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण और बहस करें लेकिनजल्दबाजी में किसी नतीजे पर ना पहुंचें.
हालांकि दक्षिण भारत के नेताओं द्वारा इस मसौदे को लेकर विरोध के सुर लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और डीएमके नेता एमके स्टालिन के बयानों के बाद अब कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता शशि थरूर हिंदी को दक्षिण भारत पर थोपने के खिलाफ चेतावनी जारी कर रहे हैं. जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, 'जनता की राय सुनने के बाद ही ड्राफ्ट पॉलिसी लागू होगी. सभी भारतीय भाषाओं को पोषित करने के लिए ही पीएम ने एक भारत श्रेष्ठ भारत योजना लागू की थी. केंद्र तमिल भाषा के सम्मान और विकास के लिए समर्थन देगा.
Read News-
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का पहला कश्मीर दौरा, सियाचिन में जवानों से करेंगे मुलाकात