कांग्रेस के संकटों का अंत नहीं, अब लोकसभा में नेता चुनने की माथापच्ची

कांग्रेस में नेतृत्व का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कोई दिग्गज चुनाव हार गया है तो कोई हार की ज़िम्मेदारी लेकर पीछे हट रहा है. यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को चौथी बार कांग्रेस ने संसदीय दल का नेता चुन लिया है लेकिन असली सवाल है कि अब लोकसभा में कांग्रेस का नेता कौन होगा? लोकसभा में कांग्रेस के 52 सांसद होंगे जिनमें खुद सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शशि थरूर, मनीष तिवारी, के सुरेश, एम के राघवन प्रमुख हैं.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा प्राप्त करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को 10 फीसदी सीटें हासिल करनी होती हैं जो 545 सीटों वाली लोकसभा में 55 बैठती हैं. कांग्रेस 3 सीटें कम पाई है इसलिए ये दर्जा उसे हासिल नहीं होगा जैसे पिछली बार नहीं हुआ था, लेकिन फिर भी दल को निचले सदन में अपनी अगुवाई के लिए कोई नेता चुनना ही होगा.
पिछली संसद में कांग्रेस के लोकसभा में नेता की जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खड़गे निभा रहे थे जो इस बार अपने अपराजेय रहने का रिकॉर्ड कायम नहीं रख सके. उनकी अनुपस्थिति में इस दायित्व का भार किसके कंधों पर पड़ेगा अनुमान लगाया जा रहा है. कई लोगों का कहना है कि सोनिया गांधी इस ज़िम्मेदारी को निभा सकती हैं लेकिन पहले ही वो पार्टी में अपनी भूमिका जिस तरह कम कर चुकी हैं उसमें कयास राहुल गांधी के नाम का भी लगाया जा रहा है जो कांग्रेस अध्यक्ष पद से छुट्टी पाना चाहते हैं.
मल्लिकार्जुन ने निभाई थी ज़िम्मेदारी लेकिन इस बार संसद में नहीं
मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक में अपनी पार्टी के डूबते जहाज के साथ डूब गए. बीजेपी ने राज्य की 28 में से 25 सीटें हासिल करके कांग्रेस और जेडीएस को एक-एक सीट पर समेट दिया है. ऐसे में खड़गे अपनी सीट भी नहीं बचा सके. उन्हें गुलबर्गा सीट पर बीजेपी के उमेश जाधव से 95,452 वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा. उमेश ने 6 लाख 20 हजार 192 वोट पाए तो खड़गे 5 लाख 24 हजार 740 वोट ही जुटा पाए.
मल्लिकार्जुन खड़गे के लोकसभा में जगह ना बना पाने के बाद अब सवाल उठ रहा है कि उनकी ज़िम्मेदारी किसे मिलेगी. सोनिया गांधी का नाम सबसे पहले लिया जा रहा है लेकिन जिस तरह उन्होंने अपनी भूमिका सक्रिय राजनीति से घटाई है ऐसे में मुश्किल है कि वो फिर से इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी कंधों पर लें. दूसरा नाम राहुल गांधी का लिया जा रहा है मगर राहुल पहले ही चुनाव में खराब प्रदर्शन की वजह से मौजूदा ज़िम्मेदारी से छुट्टी पाना चाहते हैं. हो सकता है कि वो अध्यक्ष पद छोड़कर लोकसभा में नेता पद को स्वीकार कर लें.
अगर राहुल भी नहीं मानते तो संभव है कि ये काम शशि थरूर को मिले जो तिरुअनंतपुरम से जीतकर संसद पहुंचे हैं. थरूर ने अपनी सीट तब बचाई जब कांग्रेस का किला पूरे देश में ध्वस्त हुआ. थरूर से जब लोकसभा में पार्टी के नेता पद की जिम्‍मेदारी उठाने पर सवाल किया गया तो वो इसके लिए तैयार दिखे. थरूर अच्छा बोलते हैं और विदेश में भारत का पक्ष रखने की एक घटना पर उनके सम्मान में पीएम मोदी तक बोल चुके हैं. वो कई किताबों के लेखक हैं और यूएन में लंबे वक्त तक काम कर चुके हैं. तमाम मंचों पर उन्होंने अपनी पार्टी का पक्ष मजबूती से रखा है. हालांकि थरूर ट्विटर पर कई बार विवाद में फंसे हैं. इसके अलावा पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में उनका आरोपी होना भी गंभीर मुद्दा है.

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