क्या कांग्रेस तमिलनाडु में फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो रही है?

तमिलनाडु में कांग्रेस ने आम चुनाव में नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से पार्टी ने आठ सीटों पर कब्जा जमाया और 12 प्रतिशत वोट प्राप्त किया है. इसके बाद यह सवाल उठा कि क्या राज्य में कांग्रेस फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो रही है? पार्टी ने 1967 में राज्य में सत्ता गंवा दी थी और उसके बाद यह एआईएडीएमके या डीएमके की पिछलग्गू बनकर रह गई है और अपने पैरों पर खड़े होने में इसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. राजनीतिक विश्लेषक तमिलनाडु में कांग्रेस के उभार पर अलग-अलग मत रखते हैं. 
राजनीतिक विश्लेषक रविधरन दुरईस्वामी ने कहा, "निश्चित ही, कांग्रेस तमिलनाडु में पुनर्जीवित होने की स्थिति में हैं. यह जीत केवल डीएमके के साथ होने की वजह से नहीं मिली है. पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन कई वजहों के एक साथ होने की वजह से किया जो इसके और डीएमके के पक्ष में थे." दुरईस्वामी के अनुसार, तमिलनाडु के मतदाताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को वोट दिया, जिन्हें डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया था. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने पहले भी राष्ट्रीय रुझानों से अलग तस्वीर पेश की है. 

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