जब चीन को बैकफुट पर ले आये थे एस. जयशंकर, पढ़ें नए विदेश मंत्री के बारे में दिलचस्प बातें

गुरुवार को नरेंद्र मोदी ने दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. साथ में 58 मंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों में एक चौंकाने वाला नाम एस जयशंकर का था. पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर के बारे में अटकलें लगाई जा रही थी कि इन्हें विदेश मंत्रालय मिल सकता है, वैसा ही हुआ है. एस जयशंकर भारत के नए विदेश मंत्री हैं.
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित एस जयशंकर राज्यसभा से मंत्री बनेंगे क्योंकि उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है. 2015 से 2018 तक विदेश सचिव रह चुके हैं. उनका कार्यकाल देश के लिए विदेशों से संबंधित कई मामलों में अहम रहा. डोकलाम समस्या निपटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सिर्फ पिछली सरकार में नहीं, उसके पहले यूपीए सरकार में भी उनका काम अच्छा रहा. भारत-अमेरिका ऐतिहासिक न्यूक्लियर डील के वक्त भारतीय दल की तरफ से सदस्य रहे थे. इस करार की शुरुआत साल 2005 में की गई, जिसके लिए कई साल लगे और साल 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए सरकार के वक्त यह करार हुआ था.
15 जनवरी 1955 को दिल्ली में पैदा हुए एस जयशंकर के पिता के सुब्रमण्यम खुद भारतीय स्ट्रैटजी के मामलों के जानकार रह चुके हैं. दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एम फिल और पीएचडी की डिग्री जेएनयू से ली. इस तरह जेएनयू से इस सरकार में दो मंत्री हैं. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जेएनयू से अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है. 1977 बैच के आईएफएस ऑफिसर जयशंकर ने कई विवादों में अहम भूमिका निभाई थी. जैसे लद्दाख के दीपसांग में घुसपैठ और डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के आमने सामने आ जाने के बाद बीजिंग के साथ मुश्किल घड़ी में बात की.

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