मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार क्या गिर जाएगी
मध्य प्रदेश में इस वक़्त सबसे बड़ा सवाल जो आम लोगों के मन में है वो ये है कि क्या कमलनाथ की सरकार प्रदेश में बनी रहेगी या गिर जाएगी. मध्य प्रदेश में 15 साल तक सत्ता पर काबिज़ रही बीजेपी की सरकार का अंत दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद हो गया.
लेकिन स्पष्ट बहुमत कांग्रेस को भी नहीं मिला. 230 विधानसभा सीटों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 और बीजेपी के पास 109 विधायक है. समाजवादी पार्टी के एक, बहुजन समाज पार्टी के दो और चार निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से कांग्रेस ने 121 सदस्यों को समर्थन हासिल कर लिया.
इसके बाद कमलनाथ ने प्रदेश में सत्ता संभाल ली. लेकिन अब लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की स्थिति कमज़ोर हो गई है. बड़े-बड़े दिग्गज जिनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना में, दिग्विजय सिंह भोपाल में, अजय सिंह सीधी में और अरुण यादव खंडवा में चुनाव हार गए.
प्रदेश में इस वक़्त कमलनाथ मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी संभाल रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिधिंया से जुड़ा कांग्रेस का एक धड़ा मांग कर रहा है कि कमलनाथ अध्यक्ष का पद छोड़ें और पार्टी की कमान सिंधिया को सौंप दी जाए.
लेकिन कमलनाथ की कोशिश होगी की यह पद अगर वह छोड़ते हैं तो उनके किसी क़रीबी या विश्वस्त व्यक्ति को मिले. इस बात पर लोगों को यक़ीन नही हो रहा है जिस पार्टी ने छह महीने पहले सरकार बनाई है उसकी इस तरह की स्थिति कैसे हो गई है.
वहीं कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय और दूसरी पार्टी के सदस्यों ने दबाव बनाना शुरू कर दिया है ताकि उन्हें भी मंत्री पद हासिल हो सके.
कांग्रेस विधायक दल की बैठक
बल्कि ये माना जा रहा है कि कमलनाथ के लिए मुश्किलें पार्टी के अंदर ज़्यादा हैं. सरकार चाहे रहे या गिर जाए लेकिन इस आशंका में एक दबाव की राजनीति बन जाएगी पार्टी के अंदर. इस दबाव को कमलनाथ को हर समय झेलना होगा.
चुनाव परिणाम आने से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ आरोप लगा चुके हैं कि कांग्रेस के 10 विधायकों को बीजेपी ने पैसे और पद की पेशकश की है. लेकिन इस सब के बावजूद उन्हें अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है.
वहीं, लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद आयोजित की गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कमलनाथ ने विधायकों को आगाह किया कि इस सरकार को अल्पमत में बताया जा रहा है तो कभी अस्थिर बताया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि एक मुहिम सोशल मीडिया पर झूठी सूचनाओं को आधार बना कर चलाई जा रही है. ज़रूरत इस बात की है कि इनसे सावधान रहा जाए और दूसरों को भी सावधान किया जाए.
सरकार बचाने की कोशिश
बैठक में शामिल निर्दलीय और बसपा, सपा विधायकों ने सरकार पर भरोसा जताया और कहा कि अगर ज़रूरत पड़े तो वो फ्लोर टेस्ट के लिए भी तैयार हैं. लेकिन इसके बावजूद राज्य में एक अनिश्चतता का माहौल बन गया है जिसमें कमलनाथ पर अपनी ही पार्टी के लोगों के दबाव दिखने लगा है.
प्रदेश में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लगातार अपने बयानों से सरकार को घेर रहे हैं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह का कहना है कि सरकार बैसाखियों पर टिकी हुई है जिसका कोई भविष्य नहीं है. उन्होंने कहा, "कमलनाथ सरकार बचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जो हालात हैं उनसे पता चलता है कि उनकी कोशिश बहुत लंबे समय तक चलने वाली नहीं है."