राजस्थान में हार पर रार, अशोक गहलोत व सचिन पायलट के खेमे आमने-सामने

राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर हार के बाद कांग्रेस में आंतरिक कलह तेज होती जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सीएम अशोक गहलोत पर पुत्रमोह को लेकर की गई टिप्पणी के बाद उनके विरोधी सक्रिय हो गए हैं। गहलोत विरोधी खेमे के नेताओं ने मंगलवार को दिल्ली तक अपनी बात पहुंचाने की रणनीति बनाई। राहुल की नाराजगी के बीच गहलोत मंगलवार को उनसे मिलने में सफल रहे। गहलोत ने सोमवार को भी राहुल गांधी से मुलाकात का प्रयास किया था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हे समय नहीं दिया था। गहलोत से मिलने से पहले राहुल गांधी ने उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट को बुलाया। राहुल गांधी से मुलाकात कर पायलट जैसे ही बाहर निकले गहलोत पहुंच गए।
सूत्रों के मुताबिक, गहलोत और पायलट दोनों ने अपना-अपना पक्षा रखा, लेकिन राहुल गांधी उनकी बात से संतुष्ट नहीं हुए। उधर, चुनाव में हार के कारणों पर चर्चा को लेकर बुधवार को जयपुर में राज्य के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे की मौजूदगी में होने वाली इस बैठक में चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों व जिला कांग्रेस अध्यक्षों को भी बुलाया गया है। सभी 25 सीटें हारने के बाद कांग्रेस में जयपुर से लेकर दिल्ली तक चल रही आंतरिक खींचतान के बीच गहलोत और पायलट खेमा अपने-अपने स्तर पर रणनीति बनाने में जुटा है।
गहलोत खेमे की कमान स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल व सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने संभाल रखी है। ये मंत्रियों व विधायकों को गहलोत के पक्ष में लामबंद करने में जुटे हैं, जिससे जरूरत पड़ने तक दिल्ली तक इन्हें ले जाया जा सके। वहीं, गहलोत विरोधी खेमे में सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल, खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा व खान मंत्री प्रमोद जैन भाया सक्रिय है। ये गहलोत विरोधियों को एकजुट करने में जुटे हैं। हालांकि ये सब कुछ बंद कमरों में चल रहा है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव सुशील आसोपा ने मंगलवार को फेसबुक पर पोस्ट किया है कि अगर सचिन पायलट मुख्यमंत्री होते तो परिणाम कुछ और होते। इससे पहले खाद्य मंत्री व नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा व सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने सोमवार को कहा था कि पांच माह में कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हुई, ब्यूरोक्रेसी हावी है। उन्होंने हार को हल्के में नहीं लेने की बात कही थी। राज्य के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने विधानसभा क्षेत्र झोटवाड़ा में लोकसभा प्रत्याशी कृष्णा पूनिया की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मंत्रीपद से इस्तीफा सीएम को भेज दिया था।

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