मोदी सरकार राज्य सभा में बहुमत हासिल करने के बाद क्या-क्या कर पाएगी?

17वीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के 303 सांसद हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के 353. इतने बड़े बहुमत के बाद भी निर्णायक फैसलों के लिए भारतीय जनता पार्टी को राज्य सभा में बहुमत का इंतज़ार करना होगा. 245 सदस्यीय राज्य सभा में भारतीय जनता पार्टी के फिलहाल 73 सदस्य हैं. राज्यसभा के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार, पिछले साल कांग्रेस को पीछे छोड़ा था.
Read News अब देश के सभी किसानों को मिलेंगे पीएम किसान सम्मान निधि के 6000 रुपये!
इसके अलावा जनता दल (यूनाइटेड) के छह, शिरोमणी अकाली दल के तीन, शिव सेना के तीन और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया के एक सदस्य है. इन सबको मिलाकर एनडीए के राज्य सभा में 86 सांसद होते हैं. मौजूदा समय में अन्ना द्रमुक के 13 राज्य सभा सांसद हैं और इनका समर्थन भी बीजेपी को अहम मौकों पर मिलता आया है, इस हिसाब से एनडीए के राज्यसभा में सांसदों की संख्या 99 तक पहुंचती है.
इसके अलावा तीन नामांकित सदस्यों का समर्थन भी मौजूदा सरकार को मिल रहा है. ये तीन सदस्य स्वपन दासगुप्ता, मैरीकॉम और नरेंद्र जाधव हैं.
क्या क्या फ़ैसले लेगी सरकार
अजय सिंह कहते हैं, "राज्य सभा में बहुमत हासिल होने से फाइनेंशियल बिलों का पास होना सहज हो जाता है. राज्य सभा में कई बार ऐसी स्थिति हो जाती है कि विपक्ष जानता है कि ये ठीक क़ानून है लेकिन वह विरोध करती है, ऐसी सूरत नहीं आएगी."
इसमें भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक सबसे अहम था, इसके विरोध में विपक्षी दलों की एकता को देखते हुए सरकार इसे राज्य सभा में लेकर ही नहीं गई. तीन तलाक़ को अपराधिक बनाए जाने का क़ानून भी पारित नहीं हो पाया. विपक्ष इस पर बहस तक के लिए तैयार नहीं हुआ.
इतना ही नहीं, 2016 में संयुक्त विपक्ष ने राष्ट्रपति के भाषण में संशोधन को पास करा लिया था- यह किसी भी सत्तारूढ़ दल के लिए शर्मनाक स्थिति होती है. राज्य सभा में बहुमत नहीं होने की सूरत की वजह से ही सरकार आधार विधेयक को मनी बिल बनाकर पारित करवा पाई.
इसके अलावा मोटर वाहन संशोधन विधेयक, कंपनी संशोधन विधेयक, नागरिकता संबंधी विधेयक और इंडियन मेडिकल काउंसिल संशोधन विधेयक भी राज्यसभा में अटका हुआ था. इसकी वजह से स्टैंडिंग कमेटी में कई बिल पारित होने के बाद भी सेलेक्ट कमेटी में भेजना पड़ता रहा है.
संविधान संशोधन का सवाल?
हालांकि महिला आरक्षण विधेयक जैसा मामला भी है, जिसमें केवल चार पांच सांसदों ने विधेयक को पारित होने में अड़ंगा लगा दिया था. अजय सिंह कहते हैं, "ऐसा तब होता है जब सरकार खुद उस विधेयक के प्रति बहुत दम नहीं लगाती है. नहीं तो चार पांच सांसद कोई विधेयक को पारित होने से रोक दें, ये तो संभव नहीं होता. हालांकि अगर सरकार की इच्छा नहीं हो तो चार पांच सांसद भी एजेंडा हाईजैक कर लेते हैं."
आम विधेयकों के साथ साथ धारा-370 और राम मंदिर के मुद्दे भी हैं, जो विवादास्पद होने के साथ साथ बीजेपी के घोषित एजेंडे में भी शामिल रहे हैं. इस पहलू को सरकार प्राथमिकता ज़रूर देगी.
अजय सिंह कहते हैं, "सरकार अगर ऐसी स्थिति में है तो उसे ज़रूर आगे बढ़ाएगी, ये तो घोषित एजेंडा है." रशीद किदवई बताते हैं, "जब संसद के दोनों सदनों में बहुमत होगा तो भारतीय जनता पार्टी अपने राजनीतिक विचारों को भी आगे बढ़ाएगी. हर पार्टी अपने विचारों को बढ़ाना चाहेगी. जब बहुमत हो तो संविधान में बदलाव करने में भी आसानी होगी."

More videos

See All