लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश सरकार के छह कैबिनेट मंत्री और कई विधायक लंबे समय तक अपने विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत काे जिताने के लिए जोधपुर में जमे रहे, लेकिन मंत्रियों की मेहनत काम नहीं आ पाई। कैबिनेट मंत्री न तो वैभव गहलोत को विजय दिला पाए और न ही अपने विधानसभा क्षेत्र को बचा पाए। इसके कारण लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को दोहरी मार पड़ी है, जिसको लेकर राहुल गांधी की ओर से सवाल खड़ा किया जा रहा है।
ये भी पढ़ेंपश्चिमी उप्र में कांग्रेस के 22 में 21 प्रत्याशियों की जमानत जब्त, इनमें राज बब्बर-खुर्शीद भी शामिल मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत के जोधपुर से चुनाव लड़ने के कारण यह सीट हॉट बनी हुई थी। राज्य सरकार का इस सीट पर पूरा फोकस बना हुआ था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलावा स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, जलदाय मंत्री बीडी कल्ला, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी और अल्पसंख्यक मामलात मंत्री सालेह मोहम्मद सहित कई मंत्री अाैर विधायक जातिगत समीकरण साधने के लिए अपने क्षेत्र को छोड़कर जोधपुर में लगे रहे।
इसके बाद भी जोधपुर में वैभव गहलोत की 2.6 लाख वोट से हार हुई। जबकि कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया को अपने विधानसभा क्षेत्र झोटवाड़ा से 1.15 लाख से, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास 56 हजार से, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा केकड़ी से 39 हजार से, जलदाय मंत्री बीडी कल्ला बीकानेर शहर की सीट से 40 हजार से, सालेह मोहम्मद पोखर से आठ हजार से अधिक मतों से कांग्रेस को पीछे रखा। इसके कारण कांग्रेस को जयपुर, जयपुर ग्रामीण, अजमेर, बीकानेर और बाड़मेर लोकसभा सीट पर काफी नुकसान हुआ।