देशभर में जिस तरह से मोदी लहर चली है उससे केंद्र में बनने वाले मंत्रिमंडल में पंजाब को मात्र एक सीट भी मिल जाए तो गनीमत होगी। दरअसल, पंजाब में NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को मात्र चार सीटें आई हैं। दो भाजपा को और दो अकाली दल को। 2014 में अकाली दल को चार सीटें मिली थीं और भाजपा को दो, यानी पंजाब ने NDA के खाते में छह सीटें डाली थीं।
Result with molitics
https://www.molitics.in/election/resultभाजपा 2014 में देश में अपने दम पर 282 सीटें लेकर केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। इसके बावजूद उसने अपने गठबंधन साथियों को भी अपने साथ रखा। सहयोगी पार्टियों के लिए तय किया गया कि जिस पार्टी को भी पांच संसदीय सीटें मिली हैं उसको एक कैबिनेट का पद दिया जाएगा। शिरोमणि अकाली दल को चार सीटों के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका एक राज्यमंत्री लेना चाहते थे, लेकिन प्रकाश सिंह बादल एक कैबिनेट मंत्री के लिए अड़ गए और मोदी को मनाने में कामयाब भी हो गए।
इस बार अकाली दल को जहां मात्र दो सीटें मिली हैं, वहीं भाजपा ने पूरे देश में अपनी सीटें 282 से बढ़ाकर 303 कर ली हैं। पिछले संसदीय चुनाव में जीते शिअद के प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा मनीष तिवारी से हार गए। खडूर साहिब की सीट भी शिअद ने गंवा दी है। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल के फिरोजपुर से जीतने के अलावा इस बार बठिंडा से पार्टी की केवल हरसिमरत कौर ने ही वापसी की है। ऐसे में मात्र दो सीटों वाली पार्टी में से एक को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना प्रधानमंत्री के लिए भी आसान नहीं होगा। यह सिर्फ उसी स्थिति में संभव होगा जब प्रधानमंत्री अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल के साथ अपनी दोस्ती के आगे सीटों की गिनती को आड़े न आने दें।