अलगाववाद को हवा दे रही पीडीपी हार के बाद बदलेगी अपनी राह?

चुनाव से पूर्व आतंकियों के घरों में चक्कर लगाने और पाकिस्तान परस्त बयानों के बाद कश्मीर की जनता ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को बड़ा झटका दिया है। उनके कड़वे बोल कोई फल नहीं दे पाए और वह स्वयं अपने गृह क्षेत्र में तीसरे स्थान पर खिसक गईं। ऐसे में अब पार्टी के अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो गया है। क्या इस हार से सबक लेकर महबूबा संवदेनशील मुद्दों से किनारा करेंगी और आम कश्मीरी की आवाज बनने का प्रयास करेंगी? या फिर अलगाववाद के एजेंडे से ही अपनी डूबती नैय्या को संभालने का प्रयास करेंगी?
भले ही उनकी हार अनेपक्षित नहीं है, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह तीसरे नंबर पर खिसक जाएंगी। ऐसे में वह कश्मीर का सियासी मैदान छोड़ देंगी, ऐसा कहीं नजर नही आ रहा। माना जा रहा है कि वह एक बार फिर उन मुद्दों को और अधिक हवा दे सकती हैं, जिनमें कश्मीर 30 साल से झुलस रहा है। इन्हीं मुद्दों ने ही उन्हें कश्मीर की सियासत का प्रमुख खिलाड़ी बनाया है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि अलगाववाद के मसले पर वह और अधिक मुखर दिखेंगी।

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