मायावती का पीएम बनने का सपना टूटा, सपा को भी भारी नुकसान

उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन कोई करिश्मा नहीं दिखा पाया और भारतीय जनता पार्टी की सुनामी में बह गया. गठबंधन से तमाम उम्मीदों के बावजूद बात अगर बसपा और सपा की अलग अलग करें तो सपा के हिस्से मात्र पांच सीट और बसपा के खाते में दस सीटें आयीं. सपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पांच सीटें जीती थीं हालांकि उसका वोट प्रतिशत इस बार चार प्रतिशत गिर गया. 2014 में यह 22.35 प्रतिशत था जो इस बार घटकर 18 प्रतिशत से कुछ नीचे आ गया.
पिछले चुनाव में बसपा का खाता ही नहीं खुल पाया था लेकिन इस बार वह दस सीटें जीत गयी. बसपा ने 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. कुल मिलाकर गठबंधन मात्र 15 सीटें ही जीत पाया. भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने मिलकर 64 सीटें जीतीं हालांकि 2014 में दोनों दलों ने मिलकर 73 सीटें जीती थीं. राजनीतिक विश्लेषक राकेश पाण्डेय ने गठबंधन की पराजय की वजह बतायी कि गठबंधन गैर यादव ओबीसी, जाट, ऊंची जाति और दलितों को भाजपा से दूर करने में विफल रहे जो पिछले चुनाव में ही भाजपा के साथ चले गये थे.

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