कांग्रेस के ये दिग्गज प्रदेश में तो धरासायी हुए ही अमेठी में भी कटा दी नाक

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद अब समीक्षा का दौर आरंभ हो गया है। ऐसे में जहां प्रत्याशियों के कमी और हार के कारणों को खंगाला जा रहा है तो दूसरी ओर दिग्गज नेताओं के प्रदर्शन की भी चर्चा शुरू हो गई है। हलांकि कार्यकर्ता इसे दबी जुबान में कर रहे हैं तो आम आदमी खुलकर अपनी राय रख रहा है।

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव का प्रचार प्रसार थमने के दूसरे दिन से प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेता स्टार प्रचारक बनकर अन्य प्रदेशों के लिए निकले थे। इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की परंपरागत सीट अमेठी भी शामिल थी। इन नेताओं ने अमेठी में आठ-दस दिन तक धुंआधर प्रचार किया।

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लेकिन चुनाव परिणाम के सामने आने के बाद यह तय हो गया कि इनका जादू तो दूर असर तक यहां नहीं हुआ। हालत यह रही कि राहुल गांधी अपनी परंपरागत को भी नहीं बचा सके। चुनाव प्रचार-प्रसार के उन आठ उस दिन तक इन नेताओं ने राहुल गांधी और प्रियकां गांधी के अलावा राष्ट्रीय नेताओं के साथ सभा लेते हुए अपनी फोटो जमकर सोशल मीडिया में वायरल करवाई।

इससे कांग्रेसियों द्वारा यह मैसेज देने की कोशिश की गई कि इनके चुनाव प्रचार से यहां कांग्रेस की नैया पार हो सकती है। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल, कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे,गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू सहित संगठन के बड़े नेताओं ने यहां डेरा जमाया था। अब तो छोटे कार्यकर्ता भी सवाल उठा रहे हैं। चौक-चौराहों में कह रहे हैं कि चले थे अमेठी में चुनाव जीताने और अपनी ही प्रभार वाली सीट को नहीं बचा सके। लोग कह रहे हैं कि दिग्गज नेताओं पर दोहरी मार पड़ गई है।

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