केंद्र की नयी सरकार में बिहार की बढ़ेगी हिस्सेदारी, कम-से-कम 10 मंत्री बनेंगे

लोकसभा चुनाव में बिहार से एनडीए के 39 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. ऐसे में इस बार बिहार के ये सभी सांसद केंद्र में सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे और केंद्रीय मंत्रिपरिषद में भी इनकी हिस्सेदारी बढ़ेगी. पिछली बार 4:1 के फॉर्मूले पर सांसदों को मंत्री बनाया गया था यानी पार्टी के चार सांसदों पर एक मंत्री पद दिया गया था. ऐसे में इस बार जदयू के चार सांसद केंद्रीय  मंत्री बन सकते हैं. वहीं, लोजपा और भाजपा मिलाकर बिहार से इस बार करीब 10-11 केंद्रीय मंत्री बनने की संभावना है. 

2014 में आठ केंद्रीय मंत्री  
2014 में गठित मोदी  सरकार में बिहार के आठ केंद्रीय मंत्री थे, लेकिन दिसंबर 2018 में उपेंद्र कुशवाहा के मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देकर एनडीए से अलग होने के कारण सात मंत्री रह गये थे. इनमें रामविलास पासवान, रविशंकर प्रसाद,  राधामोहन सिंह, राजीव प्रताप रूडी, रामकृपाल यादव,  गिरिराज सिंह और धर्मेंद्र प्रधान रह गये थे. ओड़िशा के रहने वाले धर्मेंद्र प्रधान बिहार से ही राज्यसभा के लिए चुने गये थे.  
बिहार को होगा फायदा  : केंद्र सरकार में बिहार से केंद्रीय मंत्रियों की संख्या बढ़ने का सीधा  फायदा राज्य और यहां के लोगों को होगा. ये सभी मंत्री राज्य के विकास में  सीधा योगदान दे सकेंगे. साथ ही केंद्र और राज्य में पूर्ण बहुमत वाली  स्थायी सरकार रहने से विकास परियोजनाओं में तेजी आयेगी.
 
रविशंकर, वशिष्ठ, आरसीपी, ललन, राधामोहन, चिराग बन सकते हैं मंत्री
सूत्रों का कहना है कि जदयू से केंद्र में मंत्री बनने की प्रतीक्षा सूची में पहला नाम   पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा में पार्टी के नेता आरसीपी सिंह का है. इसके साथ ही जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं. इसके अलावा  रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह, आरके सिंह, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे इस बार भी मंत्री बन सकते हैं.   

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