जम्मू-कश्मीर: भाजपा और नेकां को मिलीं तीन-तीन सीटें, बालाकोट बनाम 35ए के संघर्ष में महबूबा हारीं

जम्मू-कश्मीर सरकार में भाजपा को प्रवेश दिलाने वाली पीडीपी और उसकी नेता पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को जनता ने नकार दिया। रियासत में पुलवामा हमले और बालाकोट आपरेशन बनाम 35ए पर घमासान का असर घाटी और जम्मू में अलग अलग दिखा। जम्मू संभाग की दोनों सीटों पर मोदी सरकार के राष्ट्रवाद मुद्दे से भाजपा फायदे में रही। वहीं, घाटी में आतंकवाद, अलगाववाद, सैन्य कार्रवाई जैसी संवेदनशील घटनाओं को उठाकर नेशनल कांफ्रेंस फायदे में रही। सत्ता में भागीदारी की कीमत महबूबा को घाटी के मतदाताओं के गुस्से के रूप में चुकानी पड़ी। 2014 में राज्य की छह लोकसभा सीटों में घाटी की तीनों सीट पर कब्जा करने वाली पीडीपी खाता नहीं खोल पाई। 
महबूबा की बजाय वोटरों ने फारूक अब्दुल्ला पर भरोसा जताया और घाटी की तीनों सीटें नेकां की झोली में डाल दीं। फारूक श्रीनगर से जीते, वहीं महबूबा अनंतनाग से हार गईं। गुरुवार को घोषित लोकसभा चुनाव परिणामों में पीडीपी और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। जम्मू-पुंछ सीट पर जुगल किशोर शर्मा और उधमपुर-डोडा सीट पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपनी-अपनी सीट बरकरार रखी है। श्रीनगर में नेकां प्रधान डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पीडीपी के आगा सईद मोहसिन को पराजित किया। दक्षिण कश्मीर की अनंतनाग सीट पर पीडीपी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी की मुखिया महबूबा मुफ्ती तीसरे स्थान पर रहीं। यहां नेकां के हसनैन मसूदी ने कड़ी टक्कर में कांग्रेस के जीए मीर को 10 हजार मतों के अंतर से हराया।

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