EVM का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर: अमित शाह का विपक्ष पर हमला

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विपक्ष द्वारा EVM को लेकर लगातार उठाए जा रहे सवालों पर जोरदार हमला बोला है.अमित शाह ने ट्वीट करके कहा है कि EVM का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है. उन्होंने लिखा है कि हार से बौखलाई यह 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवालिया निशान उठा कर विश्व में देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धूमिल कर रही हैं.
भाजपा अध्यक्ष ने लिखा कि मैं इन सभी पार्टियों से कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूं. अमित शाह ने एक के बाद एक ट्वीट करके कुल 6 प्रश्न पूछे हैं.
प्रश्न-1: EVM की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाने वाली इन अधिकांश विपक्षी पार्टियों ने कभी न कभी EVM द्वारा हुए चुनावों में विजय प्राप्त की है. यदि उन्हें EVM पर विश्वास नहीं है तो इन दलों ने चुनाव जीतने पर सत्ता के सूत्र को क्यों सम्भाला?
प्रश्न-2: देश की सर्वोच्च अदालत ने तीन से ज्यादा PIL का संज्ञान लेने के बाद चुनावी प्रक्रिया को अंतिम स्वरूप दिया है. जिसमें की हर विधानसभा क्षेत्र में पांच VVPAT को गिनने का आदेश दिया है. तो क्या आप लोग सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहे है?
प्रश्न-3 : मतगणना के सिर्फ दो दिन पूर्व 22 विपक्षी दलों द्वारा चुनावी प्रक्रिया में परिवर्तन की मांग पूर्णतः असंवैधानिक है क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्णय सभी दलों की सर्वसम्मति के बिना सम्भव नहीं है.
प्रश्न-4: विपक्ष ने EVM के विषय पर हंगामा छः चरणों का मतदान समाप्त होने के बाद शुरू किया. एक्जिट पोल के बाद यह और तीव्र हो गया. एक्जिट पोल EVM के आधार पर नहीं बल्कि मतदाता से प्रश्न पूछ कर किया जाता है. अतः एक्जिट पोल के आधार पर आप EVM की विश्वसनीयता पर कैसे प्रश्न उठा सकते है?
प्रश्न-5: EVM में गड़बड़ी के विषय पर प्रोएक्टिव कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने सार्वजनिक रूप से चुनौती देकर इसके प्रदर्शन का आमंत्रण दिया था. परन्तु उस चुनौती को किसी भी विपक्षी दल ने स्वीकार नहीं किया.
इसके बाद चुनाव आयोग ने EVM को VVPAT से जोड़कर चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी किया. VVPAT प्रक्रिया के आने के बाद मतदाता मत देने के बाद देख सकता है कि उसका मत किस पार्टी को रजिस्टर हुआ. प्रक्रिया के इतने पारदर्शी होने के बाद इस पर प्रश्न उठाना कितना उचित है?
प्रश्न-6: कुछ विपक्षी दल चुनाव परिणाम अनुकूल न आने पर ‘हथियार उठाने’ और “खून की नदिया बहाने“ जैसे आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं. EVM पर विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे प्रश्न सिर्फ भ्रान्ति फैलाने का प्रयास है, जिससे प्रभावित हुए बिना हम सबको हमारे प्रजातांत्रिक संस्थानों को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए.
22 विपक्षी दलों ने EC से की थी मांग
बता दें कि EVM और VVPAT के मुद्दे पर कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस सहित 22 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने मंगलवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की थी. इन विपक्षी दलों का आग्रह था कि मतगणना से पहले चुनिंदा मतदान केंद्रों पर वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाए. विपक्षी दलों का यह भी कहना था कि यदि किसी एक मतदान केंद्र पर भी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान सही नहीं पाया जाता तो संबंधित विधानसभा क्षेत्र में सभी वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती की जाए.
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रफुल्ल पटेल, द्रमुक की कनिमोझी, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, समाजवादी पार्टी (सपा) के रामगोपाल यादव, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश चंद्र मिश्र, राजद के मनोज झा, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी. राजा और आम आदमी पार्टी (आप) के अरविंद केजरीवाल शामिल थे.
EC ने ठुकराई विपक्ष की मांग
हालांकि चुनाव आयोग के विपक्षी दलों की मतगणना से पहले VVPAT-EVM का मिलान करने की मांग को बुधवार को ठुकरा दिया. अमित शाह के ट्वीट चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद आए हैं. अब देखना होगा कि विपक्ष शाह के इन सवालों का क्या जवाब देता है.

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