राजस्थान में सत्तारूढ़ दल को सीटें ज्यादा मिलने की परंपरा बनेगी या टूटेगी !

 लोकसभा चुनाव 2019 के लिए मतगणना 23 मई को होगी, लेकिन इससे पहले 19 मई को मतदान सम्पन्न होने के बाद आए एग्जिट पोल्स ने भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों की धड़कनें तेज कर दी है। हालांकि भाजपा खेमे में तो खुशी का माहौल है और खबर है कि लड्‌डू तैयार करने के आर्डर के साथ-साथ होर्डिंग्स, पोस्टर बैनर के आर्डर भी दिए जा चुके है। बस रिजल्ट का इंतजार बाकी है।
अगर राजस्थान की बात करें तो सवाल यह है कि क्या इस बर वर्ष 2014 की तरह भाजपा को 25 की 25 सीटों पर जीत मिलेगी या नहीं। क्योंकि वर्ष 2013 में राजस्थान में 200 में से भाजपा ने 165 सीटें जीती थी। प्रचंड बहुमत के साथ वसुंधरा सरकार का गठन हुआ था। इसके बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर चली और 25 की 25 सीटें भाजपा ने राजस्थान में जीती थी।
लेकिन दिसंबर 2018 में भाजपा यहां 200 में से 73 सीटों पर ही सिमट गई थी, जबकि कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर यहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में सरकार बनाई है। इसके चलते प्रदेश के लोगों समेत राजनीतिक पंडितों की नजर इस बात पर है कि क्या मौजूदा सरकार के पक्ष में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को वोट दिया है या नहीं। यह 23 मई को पता चल जायेगा। हालांकि एग्जिट पोल्स में तो कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 2 से 6 सीटें ही जीती हुई बताई जा रही है। जबकि भाजपा का 19 से 23 सीटों पर जीत का अनुमान बताया जा रहा है। राजस्थान में देखने वाली बात यह होगी कि क्या वर्तमान कांग्रेस सरकार परंपरा को बनाए रखेगी, या परंपरा टूटेगी और मोदी मैजिक देखने को मिलेगा।कांग्रेस पार्टी का बाड़मेर, टोंक-सवाईमाधोपुर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर और जोधपुर सीटों पर राजनीतिक पंडितों के मुताबिक फिलहाल पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। लेकिन एग्जिट पोल के अनुमानों के आधार पर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है कि कौन जितेगा और कौन हारेगा। लेकिन इतना तय है कि अगर भाजपा 22 या 23 सीटों पर जीत दर्ज करती है, तो यह माना जाएगा कि गहलोत का जादू नहीं चला और एक बार फिर मोदी मैजिक चला और राष्ट्रवाद के नाम पर प्रदेश की जनता को एक बार फिर मोदी सरकार के लिए वोट दिया।

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