MP में राजनीतिक हलचल : CM कमलनाथ अब कैसे करेंगे क्राइसेस मैनेज
एग्जिट पोल के नतीजों से मध्यप्रदेश में भाजपा के हौंसले बुलंद हैं. राजनीतिक उठापटक का खेल शुरू होने जा रहा है. प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में है. जिसे घेरने की कवायद शुरू हो गई है. कांग्रेस के 114 विधायक हैं. जो बहुमत के आंकड़े से दो कम हैं. सपा- बसपा के मिलाकर तीन विधायक और निर्दलीय 4 विधायकों के समर्थन से कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई हैं. भाजपा के पास 109 विधायक हैं. यानि बहुमत से सात कम.
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के आसार दिखते ही भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि अब कमलनाथ सरकार सिर्फ 22 दिन की है. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने इसके बाद एक कदम आगे बढ़ाते हुए राज्यपाल को पत्र लिखकर विशेष सत्र बुलाने की मांग कर दी है. जिसमें बहुमत साबित करने का दबाव बनाया गया है. प्रदेश में चुनावी हार-जीत के बीच बड़ा मामला क्राइसेस मैनेजमेंट का है जो कमलनाथ सरकार को करना होगा.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बाहरी समर्थन देने वाले सिर्फ एक विधायक को मंत्री पद दिया है. किसी निगम –मंडल में ताजपोशी नहीं करवाई. चार निर्दलीय, तीन बसपा- सपा के विधायक जब तब अपनी नाराजी खुलकर बताते रहे. एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह ने तो नाराज़ होकर अपनी पत्नी को कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ खंडवा से लोकसभा चुनाव में खड़ा कर दिया था. जिसे मनुहार के बाद बैठाया गया.