फिर किस्मत आज़मा रहे हैं मौजूदा सांसद निशंक, बीएसपी ने बनाया मुकाबला तिकोना

उत्तराखण्ड की पांच लोकसभा सीटों में से हरिद्वार की सीट भी कम वीआईपी नहीं है. हिन्दुओं का पवित्र तीर्थस्थल होने के कारण सभी की निगाहें हरिद्वार पर टिकी रहती हैं. इस सीट पर इस बार दोबारा भाजपा के रमेश पोखरियाल निशंक अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वह प्रदेश के सीएम रह चुके हैं और 2014 में यहां से सांसद चुने गए थे. 2014 में निशंक ने हरिद्वार के सांसद और केन्द्र में मंत्री रहे हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को पौने दो लाख से ज्यादा वोटों से हराया था.
हरिद्वार लोकसभा सीट के गठन की कहानी भी बहुत ऐतिहासिक है. देश में आपातकाल खत्म होने के बाद 1977 में हुए परिसीमन में इस सीट का गठन हुआ. इस सीट को अनुसूचित जाति के आरक्षित कर दिया गया. देश की बहुत कम ऐसी सीटें हैं जहां पहली बार कांग्रेस के अलावा किसी और पार्टी ने परचम लहराया हो. हरिद्वार उनमें से एक है. हरिद्वार में पहला चुनाव हुआ 1977 में और जीत मिली भारतीय लोक दल के भगवान दास को. इनकी कितनी बड़ी जीत थी इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि भगवान दास को 71 फीसदी वोट मिले थे.
हरिद्वार सीट पर इस बार पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटिंग 68.92 फीसदी हुई है. इस सीट पर भी महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट दिये हैं. हरिद्वार लोकसभा सीट हरिद्वार जिले की सभी 11 और देहरादून जिले की 3 विधानसभाओें से मिलकर बनती है. इनमें से ज्यादातर सीटों पर भाजपा के विधायक काबिज हैं. लोकसभा के तहत आने वाली 14 विधानसभाओं में से 11 पर भाजपा के जबकि 3 पर कांग्रेस के विधायक हैं.

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