चुनाव आयुक्‍त अशोक लवासा EC की मीटिंग्‍स से क्‍यों हुए थे अलग, खुद बताई वजह

चुनाव आयुक्‍त अशोक लवासा ने सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्‍पणियों के बाद आयोग की कार्रवाईयों में तेजी लाने को कहा था. आदर्श आचार संहिता (MCC) उल्‍लंघन से जुड़ी शिकायतों पर ‘पारदर्शी और समयबद्ध’ एक्‍शन लेने की मांग उन्‍होंने इसी वजह से की. द इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में लवासा ने यह बात कही है.
15 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान कथित रूप से भड़काऊ भाषणों पर कार्रवाई का ब्‍योरा मांगा था. उसी दिन EC ने बसपा प्रमुख मायावती, सपा नेता आजम खान, यूपी सीएम योगी आदित्‍यनाथ और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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इसके तीन दिन बाद लवासा ने आदर्श आचार संहिता से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए नोट लिखा था. जब उनके सुझावों पर कोई अमल नहीं हुआ और आयोग के अंतिम आदेशों में उनके फैसलों को रिकॉर्ड नहीं किया गया तो 16 मई को उन्‍होंने आयोग की बैठक से खुद को अलग कर लिया था. लवासा ने अखबार से सोमवार शाम कहा, “अगर चुनाव आयोग के फैसले बहुमत से होते हैं और आप (अंतिम आदेश में) अल्‍पमत की राय नहीं शामिल करते तो अल्‍पमत की राय का मतलब क्‍या है?”
लवासा ने पांच मौकों पर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह को MCC उल्‍लंघन से क्‍लीन चिट का विरोध किया था. लवासा ने जो नोट लिखा, उसपर मंगलवार (21 मई) को बैठक होगी. लवासा ने कहा, “सभी बहु-सदस्‍यीय और वैधानिक संस्‍थाओं के काम करने का एक नियत तरीका होता है. चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्‍था है और इसे प्रक्रिया का पालन करना चाहिए.”
लवासा के नोट को चुनाव आयोग ने बताया था ‘आंतरिक मामला’
चुनाव आयुक्‍त का नोट सामने आने के बाद आयोग ने सफाई देते हुए कहा था कि ’14 मई को ईसी की पिछली बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान सामने आए मुद्दों से निपटने के लिए कुछ समूह गठित किए जाएंगे, जैसा कि 2014 के लोकसभा चुनाव बाद किया गया था. बयान में कहा गया, “पहचाने गए 13 मुद्दों में आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) भी शामिल था.”
सीईसी सुनील अरोड़ा ने कहा था कि MCC पर लवासा का पत्र आयोग का आंतरिक मामला है. अरोड़ा ने कहा था कि अतीत में भी निर्वाचन आयोग के सदस्यों के बीच मतभेद रहे हैं, लेकिन वह मानते हैं कि बेकार का विवाद पैदा करने से बेहतर है कि शांत रहा जाए.बयान में कहा गया, “निर्वाचन आयोग के तीनों सदस्यों से एक-दूसरे का क्लोन या टेम्पलेट होने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। पहले भी कई बार मतभेद रहा है, जो हो सकता है और होना भी चाहिए.”

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