सती प्रथा व जौहर में है अंतर: डोटासरा शिक्षा मंत्री के काबिल नहीं-देवनानी

पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने जौहर को सती प्रथा बताकर स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम से बाहर करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि जिसे सती प्रथा और जौहर में अंतर व इतिहास का ज्ञान नहीं है, वह शिक्षा मंत्री रहने के योग्य नहीं हैं।
देवनानी ने कहा कि जौहर राजस्थान के इतिहास, शौर्य और बलिदान से जुड़ा विषय है, जिसे सती प्रथा से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। लेकिन प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा द्वारा जौहर को सती प्रथा बताकर स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम से बाहर करना ना केवल उनके ज्ञान, बल्कि कांग्रेस की मानसिकता को भी दर्शाता है। वीर और वीरांगनाओं के बलिदान का अपमान कर कांग्रेस सरकार अपने आलाकमान की चाटुकारिता करने में निम्न स्तर पर आ चुकी है।
उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ के शौर्य और बलिदान की गाथा महाराणा प्रताप और रानी पद्मिनी के जौहर पर ही टिकी है। लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने आठवीं अंग्रेजी की किताब के कवर पेज से पद्मिनी के जौहर की तस्वीर हटाकर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास का अपमान किया है।
देवनानी ने डोटासरा के इस बयान को हास्यास्पद बताया है कि जौहर सती प्रथा है और सती प्रथा पर प्रतिबंध है। इसलिए छात्रों को नहीं पढ़ाया जा सकता है। देवनानी ने कहा कि सती प्रथा पर प्रतिबंध है, यह बात सभी को मालूम है, लेकिन जौहर को सती प्रथा से जोड़कर बिल्कुल भी नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के रानियों के साथ जौहर पर तो हर साल चित्तौड़ में जौहर मेला आयोजित किया जाता है और रानी पद्मिनी की पूजा की जाती है। सरकार के इस निर्णय से जौहर मेला आयोजित करने वाला जौहर स्मृति संस्थान खफा है।

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