चंडीगढ़ में किरण खेर को मोदी लहर का ही सहारा, बंसल ने की तगड़ी घेराबंदी
किरण खेर के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह पार्टी के भीतर उपजे असंतोष को कितना दूर पाती हैं.
चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प है. पिछली बार 'मोदी लहर' में जीती अभिनेत्री किरण खेर को उम्मीद है कि इस बार भी उनका बेड़ा पार हो जाएगा. वहीं, चार बार इसी सीट से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल भी बेहद आशावान है कि जनता उन्हें पांचवी बार सिर आंखों पर बिठा लेगी. वे कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने यहां से हरमोहन धवन को टिकट दिया है. 2014 में धवन ने खेर का समर्थन किया था. ऐसे में इस बार माना जा रहा है कि वह बीजेपी के वोट काट सकते हैं.
किरण खेर अपने प्रचार अभियान के दौरान लगातार मोदी के नाम पर वोट मांगती दिखी हैं. पहले तो उनके टिकट कटने का खतरा था, क्योंकि पार्टी के भीतर ही उन्हें 'बाहरी' बताया गया था. ऐसी खबरें थीं कि पति अनुपम खेर के दखल के बाद किरण को यहां से टिकट मिला. चंडीगढ़ में पार्टी दो धड़ों में बंटी नजर आती है. चंडीगढ़ बीजेपी प्रमुख संजय टंडन के समर्थक उन्हें टिकट की मांग कर रहे थे. हालांकि बीजेपी ने किसी तरह की फूट से साफ इनकार किया है, मगर भीतरखाने हल्की सी भी ढिलाई खेर के लिए हार की वजह बन सकती है.
पवन कुमार बंसल को उनके कैडर का पूरा समर्थन हासिल है. वे अपने चुनाव प्रचार में लगातार स्थानीय मुद्दों को उठाते रहे हैं. चंडीगढ़ की गिनती देश के साफ-सुथरे शहरों में होती रही है. बंसल रैलियों में यह बताते रहे कि खेर की नजरअंदाजी के चलते स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में चंडीगढ़ की रैंकिंग तीसरे पायदान से गिरकर 20वें स्थान पर पहुंच गई. बीजेपी इसको काउंटर भी नहीं कर पा रही क्योंकि नगर निगम पर भी उसी का कब्जा है. खेर को कांग्रेस इस बात पर भी घेरे हुए है कि वह 'बाहरी' हैं और चुने जाने के बाद उन्होंने अपना अधिकतर समय मुंबई में बिताया. जवाब में खेर कहती रही हैं कि वह चंडीगढ़ में ही पली-बढ़ी हैं.
किरण खेर ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि वह चंडीगढ़ में वाहनों की संख्या करने के लिए मोनोरेल लाने का वादा किया है. इसके अलावा शहर को टूरिज्म और आईटी का हब बनाने का वादा भी किया गया है. दूसरी तरफ, बंसल ने चुनाव प्रचार के दौरान चंडीगढ़ को स्वच्छता रैकिंग में फिर से टॉप-3 में लाने का वादा किया है. वे कहते रहे हैं कि मोदी सरकार ने पांच साल में देश को धार्मिक आधार पर बांट दिया है.
2014 में अभिनेत्री किरण खेर ने कांग्रेस के कद्दावर नेता पवन बंसल को हराकर बीजेपी को यहां से जीत दिलाई थी. किरण खेर को 42.20 फीसदी मत शेयर के साथ 1,91,362 वोट मिले थे. पवन कुमार बंसल को 26.84 फीसदी मत शेयर के साथ 1,21,720 वोट हासिल हुए थे. तीसरे नंबर पर आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार अभिनेत्री गुल पनाग रही थीं, जिन्हें 1,08,679 वोट मिले थे.
एक अहम पहलू यह है कि 2014 के मुकाबले मतदाताओं की संख्या कम हो गई है. चुनाव आयोग के अनुसार, 2014 में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 8,57,343 थी, जो इस बार घटकर 6,19,249 रह गई है. पिछले चुनाव के मुकाबले 2 लाख 38 हजार मतदाता कम हो गए हैं.