मनोहर सरकार का यूटर्न, हरियाणा में नहीं चलेंगी किलोमीटर स्कीम में निजी बसें

किलोमीटर स्कीम के कानूनी पचड़े में फंसने और सरकार द्वारा विजिलेंस जांच बैठाने के बाद परिवहन विभाग ने 700 निजी बसों को रोडवेज में शामिल करने की योजना से पीछे हटना शुरू कर दिया है। परिवहन निदेशालय ने पहले चरण में सभी 49 ट्रांसपोर्टर्स को अपनी धरोहर राशि (ईएमडी) वापस लेने का प्रस्ताव दिया है। हालांकि विभाग द्वारा निजी बस ऑपरेटरों से प्रति बस लिए गए एक लाख रुपये के बदले में कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा। सरकार के इस फैसले को विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कर्मचारियों का भरोसा जीतने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
महानिदेशक आरसी बिदान ने स्कीम से हटने का विकल्प देते हुए उन सभी ट्रांसपोर्टर्स को चिट्ठी लिखी है जो 510 बसों के टेंडर में परमिट हासिल करने में सफल रहे थे। चिट्ठी में कर्मचारी यूनियनों की लंबी हड़ताल, मामले की विजिलेंस जांच और कांग्रेस विधायक करण सिंह दलाल द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल याचिका का हवाला देते हुए कहा गया है कि विजिलेंस की रिपोर्ट और अदालत का फैसला आने के बाद ही तय होगा कि स्कीम जारी रहेगी या नहीं। ऐसे में जो ट्रांसपोर्टर स्कीम से हटना चाहें, वह अपनी धरोहर राशि वापस ले सकते हैं। इसके बाद उनका अनुबंध खत्म कर दिया जाएगा।

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