सिंहदेव बनाम मोदी- राजा और रंक

छत्तीसगढ़ के बड़े नेता और कांग्रेस सरकार के मंत्री हैं टीएस सिंहदेव वे,सरगुज़ा राजघरानें के राजा हैं उनकी ख़ासियत है कि वे राजतंत्र और लोकतंत्र के बीच की कड़ी बनने का प्रयास करते रहे है कल जो बीत गया उस रोज वो स्कूटर पर अपने गृह नगर अंबिकापुर की सड़कों पर निकले क्योंकि जनता की शिकायत थी कि वे कार के सवार हैं उन्हें सड़क के गड्ढों का अनुमान नही होता है..,
सिंहदेव को गड्ढे दिखे और अपनी जेब से सड़क के कचरे साफ़ करने के लिये उन्होंने एक लाख रुपये दिये लिखना होगा वे राजा हैं इस लिये दाता हैं उनकी शैली देकर भूल जाने की है वो न तो प्रदेश को,न जनता को यह याद दिलाते हैं कि उन्होंने कुछ बड़ा किया है,जैसा अमूमन अतिपिछड़ी जाति में पैदा हुए ग़रीब माँ के बेटे स्टेशन पर चाय बेचने वाले,बड़े होकर सड़कों पर भीख माँग कर खाने वाले नरेंद्र मोदी करते हैं,राजा और रंक में यही फ़र्क़ होता है एक सिर्फ़ माँगता है दूसरा देता जाता है..,
मोदी,देश से इन दिनों वोट माँग रहे हैं वे अपनी सभाओं में अपनी अतिपिछड़ी जाति में पैदा होने का ज़िक्र कर रहे हैं लेकिन सवाल तो फिर वही है कि उनकी जाति प्रमाण पत्र माँग कौन रहा है जो वो दिखा रहे हैं..,
मोदी कहीं नौकरी माँगने जा रहे हैं..? या सजातीय विवाह करने के विज्ञापन अख़बारों में देने जा रहे हैं जो अपनी जाति का ज़िक्र कर रहे हैं ख़ैर,उनकी हसरतें वही जानें..,
वैसे,नेता धर्म जाति से ऊपर होता है पर,जो इसकी पूँछ पकड़ कर सिंहासन तक आता है वह जनता द्वारा उलटे पाँव लौटा भी दिया जाता है सबका साथ सबका विकास इनका ही नारा है तो फिर जातियों के नाम पर भेद क्यों पैदा किये जा रहे हैं..? क्या अपने नारे को पीछे छोड़ दिए हैं और Divider in chief की मूल भूमिका को सत्य साबित करने में लगे हुए हैं

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