जातीय समीकरण में फंसे मनोज सिन्हा, गाजीपुर में केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाने में जुटे

केंद्रीय संचार और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा रात नौ बजे जमानिया रेलवे स्टेशन के पास एक छोटी सी जनसभा संबोधित कर रहे हैं। सुबह से यह 17वीं मीटिंग है। एक-एक कर अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं। हर उपलब्धि बताने के बाद जनता से पूछते हैं, ठीक हो? एक स्वर में सभी उत्तर देते हैं, ठीक हैं। कभी हिंदी में तो कभी भोजपुरी में। वे बताते हैं कि कैसे उन्होंने हाईवे बनवाए, नई ट्रेनें चलवाईं, गाजीपुर के साथ सभी रेलवे स्टेशनों को साफ सुथरा और आधुनिक सुविधाओं से युक्त बना दिया, गंगा पर नया रेल-रोड पुल बनवाया, हवाई अड्डा बन रहा है, 100 आधुनिक प्राथमिक विद्यालय खुलवाए, स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनवाया, मेडिकल कॉलेज बनवाया, बालिकाओं के लिए हाईस्कूल और डिग्री कॉलेज खोला और इनमें सैनिटरी पैड की वेंडिंग मशीन और इंसीनरेटर लगवाई। सिन्हा यहीं पैदा हुए, यहीं पले-बढ़े। हर समस्या से वाकिफ हैं। उपलब्धि बताने से पहले सालों से चली आ रही समस्या का जिक्र करते हैं और फिर हल से मिलने वाली राहत का।

जैसे -गाजीपुर से बड़े शहरों के लिए सीधे ट्रेन नहीं थी। कहते हैं, अब हर बड़े शहर के स्टेशन पर उद्घोषणा होती है कि गाजीपुर जाने वाली गाड़ी इस प्लेटफार्म से जाएगी।पौन घंटे लंबा भाषण खत्म होने के बाद भी उन्हें कार तक पहुंचने में दस मिनट लग जाते हैं। हर व्यक्ति को नाम से जानते हैं। एक-एक की समस्या सुनते हैं और हल करते हैं। मीटिंग खत्म होने के बाद वे एक घंटे तक जमानिया के कार्यालय में कार्यकर्ताओं से बात कर हर एक को बूथ-स्तर के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपते हैं। कहते हैं, सफल राजनेता बनने के लिए दो बातें जरूरी हैं - अच्छा भाषण और हर कार्यकर्ता को नाम से जानना।

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