आडवाणी की गिरफ्तारी में बाधा डालने वालों को गोली मारने का आदेश था: लालू

यहां रथयात्रा के निर्णय से केंद्र की जनता दल सरकार के गिर जाने का खतरा तो था ही, मेरी चिंता की एक और वजह थी. बहुत मुश्किलों के बाद मैं बिहार में सांप्रदायिक सद्भाव का माहौल बनाए रखने में सफल हुआ था. जबकि पिछली सरकारों की नाकामी से बिहार एक दंगाग्रस्त राज्य बन चुका था. आरएसएस-भाजपा के रामशिला पूजन के जुलूस की वजह से अक्तूबर, 1989 में भागलपुर में हुए दंगे में लगभग 1,500 लोगों की मौत हुई थी.
दंगाइयों ने सिल्क सिटी और उसके आसपास के करीब 250 गांवों को नक्शे से मिटा दिया था और उनके उनके जुल्म के शिकार ज्यादातर मुस्लिम जुलाहे थे. बिहार में बिहार शरीफ, सीतामढ़ी, हजारीबाग, जमशेदपुर और रांची (इनमें से आखिरी तीन शहर अब झारखंड में हैं) जैसी और भी जगहें थीं, जो सांप्रदायिक नजरिए से संवेदनशील थीं. जहां 1970 और 1980 के दशकों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई थीं. तब पूरे बिहार में मुस्लिम हमेशा भय के माहौल में रहते थे और इसी कारण राज्य और केंद्र की कांग्रेस सरकारों से उनका मन उखड़ गया था.

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