'फानी' तूफान ने भुवनेश्वर का किया बुरा हाल, ज़रूरी सामानों की हुई किल्लत

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर अपनी चौड़ी सड़कों, हरे-भरे पेड़ों और सुनियोजित तरीके से ट्रैफिक संचालन के लिए जानी जाती है. लेकिन आज उस शहर का हाल बेहाल है. चक्रवात फानी ने इस खूबसूरत शहर को तहस-नहस कर दिया है. 3 मई को प्री-मॉनसून तूफान ने ओडिशा के 8 तटीय जिलों को तहस-नहस कर दिया, जबकि राजधानी भुवनेश्वर पूरी तरह से अंधेरे की चपेट में आकर ठप पड़ गया. मानों कोई भूतहा शहर हो. 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बहने वाली हवाओं से बिजली के खंबे या तो उखड़ गए या झुक गए जिससे शहर भर में बिजली गुल रही. शहर भर में लोहे के बने बिजली के खंबे, तार और टेलीफोन केबल क्षत विक्षत हालत में सड़कों पर पड़े देखे गए.

ओडिशा में चक्रवात फानी के घुसने से पहले ही प्रशासन ने जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए शहर की बिजली सप्लाई बंद कर दी थी. 1999 के बाद भारत में आने वाले इस सबसे शक्तिशाली तूफान से पुरी शहर के पास भूस्खलन भी हुआ.

तेज़ हवाओं के साथ हो रही भारी बारिश जब रुकी तो भुवनेश्वर की सड़कें अंधेरे में डूबी हुई थीं. चक्रवात से ज्यादातर सार्वजनिक और निजी इमारतों को क्षति पहुंची और सड़कों पर बहुत ही कम लोग दिखाई पड़ रहे थे. दुकानों के बंद रहने से दूध और खाद्य पदार्थों जैसी आवश्यक वस्तुओं के लिए हाथापाई हो गई. चक्रवात आने के 24 घंटे बाद भुवनेश्वर में बिजली सप्लाई दोबारा चालू की गई.

वहीं पानी की किल्लत के कारण संकट और गहरा हो गया, जिससे शहर के कुछ हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. शहर की सड़कों में लगे सैकड़ों पेड़ चक्रवात फानीके कारण पूरी तरह से ज़मीन से उखड़ गए और पेड़ों की टहनियां टूटकर सड़कों पर बिखरी पड़ी दिखीं.
भुवनेश्वर का रेलवे स्टेशन और बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी काफी क्षति पहुंची है. चक्रवात के बाद भूस्खलन से दो दिन पहले राज्य सरकार ने संवेदनशील जिलों से 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था

चक्रवात फानी से मरने वालों की संख्या 16 तक पहुंच गई है. हालांकि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का कहना है कि मरने वालों का आंकड़ा 10 के अंदर है.

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