अजमेर में मुख्य मुकाबला भाजपा- कांग्रेस के बीच

आजादी के बाद सन 1952 में अजमेर में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था। उस वक्त ये सीट दो हिस्सों में बांटी गई थी। एक अजमेर नोर्थ और दूसरी अजमेर साउथ। 1952 में दोनों ही सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहा था। जहां अजमेर नॉर्थ से जवाला प्रसादा जीते थे तो साउध से मुकट बिहारी लाल ने सीट पर कब्जा किया था। अब तक हुए 16 चुनावों में 9 बार ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है। इस बार यहां मुकाबला कांग्रेस के रिजु झुनझुनवाला और भाजपा के भागीरथ चौधरी के बीच है। नाम वापसी के बाद यहां कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच है। 
1952 से 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा। इस दौरान पांच बार लोकसभा चुनाव हुए। जिसमें से तीन मुकट बिहारी लाल ने जीते। वे 1952 से 1962 तक के चुनाव यहां से जीते। इसके बाद 1967 और 1971 में भी इस सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। 1977 में इस सीट पर कांग्रेस को पहली बार हार का सामना करना पड़ा था। जब भारतीय लोक दल के श्रीकरन शारदा ने कांग्रेस के बिश्वेशवर नाथ भार्गव को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। जिसके बाद 1980 और 1984 के चुनावों में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी करते हुए इस सीट पर जीत हासिल की।  1980 में आचार्य भगवान देव और 1984 में विष्णु कुमार मोदी ने जीत हासिल कर संसद पहुंचे। 1989 से 1996 तक इस सीट पर भाजपा के रासा सिंह रावत का कब्जा रहा। वे यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीते। 1998 मे कांग्रेस की प्रभा ठाकुर से हारने के बाद, उन्होंने 1999 में फिर वापसी करते हुए इस सीट पर कब्जा किया। इसके बाद उन्होंने 2004 में भी जीत हासिल की। सन 2009 में सचिन पायलट इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे। जिसके बाद 2014 की मोदी लहर में एक बार फिर ये सीट भाजपा के खाते में गई। 

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