छत्तीसगढ़ के बदले चुनावी मुद्दे, भाजपा 15 साल तो कांग्रेस गिना रही सिर्फ 3 महीने का विकास

छत्तीसगढ़ में चार महीने पहले हुए चुनावों में जो मुद्दे प्रभावी थे वे अब लोकसभा चुनाव में नदारद दिख रहे हैं। ऐसा क्या है कि चार महीने में ही मुद्दे बदल गए। यहां दिसंबर में कांग्रेस की सरकार बनी तो लोकसभा की आचार संहिता लगने से पहले काम करने के लिए मुश्किल से तीन महीने का ही वक्त मिला। सरकार ने कुछ काम किया है और अब लोकसभा चुनाव में उसे ही गिना रही है।
जबकि भाजपा विधानसभा चुनाव में 15 साल के विकास का जो शोर मचा रही थी, उस पर अब खामोश है। बात राष्ट्रवाद, सर्जिकल स्ट्राइक और मोदी के चेहरे की ही की जा रही है। तो क्या विधानसभा चुनाव के दौरान जनता की जो समस्याएं थीं, उनका समाधान निकल चुका है। जानकारों की मानें तो ऐसा कुछ नहीं है। दरअसल, विधानसभा और लोकसभा के चुनाव के मुद्दे हमेशा अलग ही होते आए हैं।

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