1985 में पहली बार विधायक बने थे रामलाल, जानिए अब तक का राजनीतिक सफर

 साढ़े तीन दशक से बतौर कांग्रेस नेता अपनी पहचान बनाने वाले विधायक रामलाल ठाकुर की कर्मभूमि नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र ही रहा है। पुनर्सीमांकन के बाद नयनादेवी के नाम से शुरू हुए इस हलके का शुरूआती नाम कोटकहलूर रहा है। 1985 में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद यह रामलाल ठाकुर ही थे जिन्हें वीरभद्र सिंह ने पहली बार विधायक बनते ही सबसे कम उम्र में अपनी सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार का दायित्व दिया।
रामलाल ठाकुर का जन्म 17 जून 1951 को बिलासपुर के नम्होल के पास पड़ते घ्याल गांव में स्वर्गीय परस राम ठाकुर व स्वर्गीय देवकी देवी ठाकुर के घर हुआ था। पिता किसान थे। रामलाल के बेटे विकास ठाकुर कांग्रेस कमेटी में प्रदेश सचिव और व्यवसायी हैं। पत्नी गृहिणी हैं और बेटी की शादी हो चुकी है। रामलाल ने आठवीं तक शिक्षा राजकीय माध्यमिक पाठशाला नम्होल में हासिल की। बिलासपुर कॉलेज से बीए पास की। इस दौरान वह केंद्रीय छात्र संघ के महासचिव चुने गए। 1971 में उन्हें एनसीसी का बेस्ट कैडेट होने पर गणतंत्र दिवस परेड के चुना गया। कॉलेज में रहते राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया। उन्होंने लॉ कॉलेज शिमला से एलएलबी पास की। 1978 में बिलासपुर जिला अदालत में प्रेक्टिस शुरू की। 1985 तक युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष, प्रदेश युवा कांग्रेस के महासचिव रहे। 1985 में वीरभद्र के प्रदेश की राजनीति में आने के दौरान उन्हें कोटकहलूर हलके से कांग्रेस का टिकट मिला। उन्होंने कामरेड रहे केके कौशल व भाजपा प्रत्याशी दौलत राम शर्मा को हराया और पहली बार विधायक बने।

More videos

See All