Kanhaiya Kumar Crowdfunding | कन्हैया कुमार जनता से जुटा रहे हैं फंडिंग | कन्हैया का क्राउड फंडिंग

Crowdfunding by Kanhaiya Kumar - जनता से जुटा रहे हैं Funding "कोई चुनाव बिना फंड के नहीं लड़ा जाता. फंड इकट्ठा करना राजनीतिक पार्टी से लेकर उम्मीदवारों तक के लिए मुश्किल रहा है. बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियां कॉरपोरेट घरानों से चंदा लेती हैं लेकिन वामपंथी दल जनता के सहयोग से चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं. बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के उम्मीदवार कन्हैया कुमार क्राउड फंडिंग का सहारा ले रहे हैं. शायद यह पहली बार है जब किसी वामपंथी दल का कोई उम्मीदवार चंदा जुटाने का यह तरीका अपना रहा है. लिहाजा कन्हैया कुमार के क्राउड फंडिंग पर सवाल भी उठ रहे हैं. हालांकि उनका कहना है कि उनकी पार्टी को इससे कोई आपत्ति नहीं है.` कन्हैया कुमार के इस तरह से क्राउड फंडिंग का सहारा लेने को लेकर सोशल मीडिया में सवाल उठ रहे हैं. बताया जा रहा है कि अपने 37 प्रत्याशियों के लिए सीपीआई ने लेटर हेड पर चुनावी चंदे की अपील जारी की है. पार्टी ने चेक और डीडी आदि के जरिये योगदान मांगा है. लेकिन जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पार्टी के चंदे के भरोसे नहीं रहना है क्योंकि उनके लिए एक कंपनी क्राउड फंडिंग कर रही है. कन्हैया कुमार क्राउड फंडिंग कंपनी ourdemocracy.in के जरिये चंदे की अपील भी कर रहे हैं. कौन है क्राउड फंडिंग कंपनी क्राउड फंडिंग कंपनी ourdemocracy.in को प्रशांत किशोर के संगठन आई-पीएसी से जुड़े आनंद मंगनाले और पूर्व पत्रकार बिलाल जैदी ने स्टार्टअप के तौर पर शुरू किया है. कंपनी खुद को राजनीतिक चंदा जुटाने के नियमों का कड़ाई से पालन करने वाला देश का पहला क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म बता रही है. कंपनी मिलने वाले चंदे पर 5 प्रतिशत का कमीशन लेती है. कंपनी आम आदमी पार्टी की आतिशी, राघव चड्ढा और दिलीप पांडे के अलावा कांग्रेस के नाना पटोले के लिए काम कर रही है. वामपंथी दल चुनाव में कोई भी कॉरपोरेट तौर-तरीका अपनाने के विरोधी रहे हैं और चुनाव के लिए चंदा पार्टी, उनसे जुड़े संगठन जुटाते रहे हैं. यह चंदा भी जनता के बीच और पार्टी के शुभचिंतकों से आता रहा है. कन्हैया के द्वारा चंदा लेने का गैर पारम्परिक तरीका सवालों के घेरे में जरूर है, लेकिन सीपीआई ने अभी तक इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है. सीपीआई भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में लगभग समाप्त हो क्युकी है. ऐसे में क्या कन्हैया कुमार की गैर पारम्परिक शैली पार्टी को पुनर्जीवित कर पाएगी "

More videos

See All