World Water Day 2019: राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में सूख जाते हैं पानी के मसले

 'रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून' रहीम का यह दोहा पानी के महत्व को साफ रेखांकित करता है। जल गुरु राजेंद्र सिंह से लेकर तमाम विशेषज्ञ पहाड़ों की जवानी और पानी को व्यर्थ न गंवाने की सलाह दे चुके हैं। लेकिन राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में हिमाचल के पानी के मसले सूख जाते हैं। राजनेताओं की आंख का पानी इस कदर खत्म हो गया है कि उन्हें पानी जैसा संवेदनशील मुद्दा नजर नहीं आता।
आरोपों-प्रत्यारोपों और एक-दूसरे पर छींटाकशी के बीच जनता से जुड़े असल मुद्दे चुनावी शोरगुल में गायब हो जाते हैं। देश के उच्चतर साक्षरता वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल में न तो जल साक्षरता आंदोलन चला और न ही यह बड़े दलों का एजेंडा बन पाया। प्रदेश की राजधानी एवं पर्यटन नगरी शिमला पिछले साल सबसे बड़ा जल संकट झेल चुकी है। इस बार गर्मी दस्तक देने वाली है। लेकिन एक साल में जल संकट से निपटने के लिए नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो पाया है।

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