सत्ता से बाहर भाजपा को ‘फाइनल’ में पाटना होगा लाखों वोटों का गड्ढा, 3 सीटें ऐसी जहां कांग्रेस ने किया क्लीन स्वीप

 राज्य में 15 साल की सत्ता के बाद बाहर हुई भाजपा को अब “फाइनल’ मुकाबले यानी लोकसभा में लाखों वोटों का गड्ढा पाटना होगा। कांकेर और महासमुंद में तो कांग्रेस दो लाख वोटों की मार्जिन से आगे है।
दुर्ग में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू जितनी मार्जिन से जीते थे, उससे 1.83 लाख ज्यादा वोट इस बार विधानसभा चुनाव में मिले हैं। दूसरी ओर, राज्य बनने के बाद यह पहला मौका है, जब भाजपा प्रदेश में सबसे कमजोर स्थिति में है।
इसमें भी उसके लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि सरगुजा, रायगढ़ और कांकेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 24 विधानसभा सीटों में एक भी सीट उसके पास नहीं है। ऐसे समय में भाजपा को उम्मीद है कि 2014 में भी सरगुजा, बस्तर और कांकेर में विधानसभा सीटें कम थीं, लेकिन ज्यादा मार्जिन से लोकसभा में जीत हुई थी। हालांकि इसमें दुर्ग लोकसभा क्षेत्र अपवाद भी है, जहां नौ में सात सीटें होने के बावजूद भाजपा हारी थी।
भाजपा नेताओं का कहना है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा के परिणाम का असर नहीं पड़ेगा। भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। इसके विपरीत कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि जिस तरह विधानसभा चुनाव में भाजपा का सफाया हो गया है, उसी तरह लोकसभा में भी भाजपा हारेगी। कांग्रेस सरकार ने पिछले दो महीनों में जो काम किए हैं, उनका असर भी उसके पक्ष में पड़ेगा। घोषणा-पत्र के तकरीबन सारे प्रमुख वादे पूरे किए जा चुके हैं।
 

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