सीमांचल में कांग्रेस मजबूत, महागठबंधन की नैया पार लगाएगी पार्टी

 पिछले तीन दशक से बिहार में अधिकांश समय राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) पर निर्भर कांग्रेस की स्थिति राज्य के अन्य भागों में जो भी हो, सीमांचल में भिन्न है। भले ही प्रदेश में महागठबंधन का नेतृत्व राजद के हाथों में हो, मगर सीमांचल में कांग्रेस लीड करने की स्थिति में है। यहां की चार सीटों में से तीन पर कांग्रेस की दावेदारी है। तारिक अनवर के रूप में कांग्रेस के पास एक बड़ी हैसियत का नेता है, जबकि राजद के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन अब दुनिया में नहीं हैं।

कांग्रेस सीमांचल में पिछले कुछ समय से राजद से बेहतर स्थिति में दिखने लगी है। यह स्थिति राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव तारिक अनवर के कांग्रेस में आ जाने और पिछले वर्ष राजद के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद उभरी है। तारिक अनवर कटिहार से सांसद हैं, जबकि तस्लीमुद्दीन अररिया से सांसद थे। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र सरफराज अहमद सांसद बने हैं, मगर वे तस्लीमुद्दीन के निधन से हुई राजनीतिक क्षति को पूरा करने की स्थिति में नहीं हैं।
 

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