Chhattisgarh पर भारी पड़ रहे चुनावी वादे, हर महीने बढ़ रहा कर्ज का भार

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चुनावी वादों की वजह से जनता पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। दो महीने में सरकार ने साढ़े छह हजार करोड़ स्र्पये का लोन ले चुकी है। दो दिन पहले ही एक हजार करोड़ स्र्पये की प्रतिभूति (सिक्योरिटी बांड) बेचा गया है। यह कर्ज 8.18 फीसद ब्याज के साथ छह वर्ष में चुकाना है।
इससे पहले 12 फरवरी को सरकार ने हजार करोड़ का बांड बेचा था। सरकार के लगातार कर्ज लेने की वजह से राज्य में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ 16 हजार से बढ़कर 18 हजार स्र्पये से अधिक हो गया है।
चालू वित्तीय वर्ष के खत्म होने में अभी एक महीना शेष है, लेकिन सरकार कर्ज की तय सीमा के करीब पहुंच चुकी है। पिछले दिनों विधानसभा में बजट प्रस्तुत करने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा में बताया था कि राज्य ने इस साल अब तक 12462 कराड़ का कर्ज लिया है जो आरबीआइ से स्वीकृत सीमा के भीतर ही है। उन्होंने यह भी बताया कि 2019-20 में हम 10 हजार 931 करोड़ स्र्पये तक कर्ज ले सकेंगे।
सत्ता में आते ही कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी और धान 2500 स्र्पये प्रति क्विंटल की दर पर खरीद के चुनावी वादे को पूरा करने का एलान किया। सरकार करीब 6100 करोड़ का कर्ज माफ कर रही है। वहीं, धान का समर्थन मूल्य 2500 करने के लिए सरकार को करीब 54 सौ करोड़ से अधिक की जस्र्रत थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार तीन सौ स्र्पये प्रोत्साहन राशि देने के लिए 27 सौ करोड़ की व्यवस्था कर गई थी। इस वजह से मौजूदा सरकार को भी करीब इतने की और की व्यवस्था करनी पड़ रही है। दोनों मिलाकर सरकार को लगभग 8875 करोड़ की जस्र्रत है।

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