छत्तीसगढ़ में तबादले प्रशासनिक कसावट की कवायद या लोकसभा चुनाव की तैयारी!

छत्तीसगढ़ में पिछले 2 महीनों में कांग्रेस सरकार ने 37 आईपीएस अधिकारियों के साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादले किए है. मंत्रीमंडल गठन के दिन ही भूपेश बघेल ने 25 दिसंबर को 17 आईपीएस का तबादला किया था. उसके बाद 18 फरवरी को 10 आईपीएस, 20 फरवरी को 3 आईपीएस का तबादला किया गया. इसी तरह 18 फरवरी को 32 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों और 20 फरवरी को 52 अधिकारियों का तबादला कर दिया.

रायपुर एसपी नीथू कमल के साथ ही बिलासपुर एसपी रहे आरिफ शेख का दो-दो बार तबादला किया गया. आरिफ शेख को 25 दिसंबर को पहले बिलासपुर एसपी से हटाते हुए पीएचक्यू में पदस्थ किया गया और फिर उसके बाद दोबारा हाल ही में 18 फरवरी को पीएचक्यू से निकालकर रायपुर का एसपी बनाया गया. इसी तरह जांजगीर चांपा की एसपी नीथू कमल को पहले रायपुर का और फिर डेढ़ माह के अंतराल में ही एक बार और तबादला करते हुए बलौदाबाजार एसपी बनाया गया है.
इंदिरा कल्याण एलेसेला को पहले राज्य सरकार ने 25 जनवरी को बालोद एसपी से हटाकर नारायणपुर एसपी बनाया उसके बाद एक बार फिर 20 दिनों के अंदर ही 14 जनवरी को ईओडबल्यू का एसपी बना दिया गया. इस तरह बार बार अपने निर्णय राज्य सरकार द्वारा बदले जाने से ये भी सवाल उठने लगा है कि ये सरकार इतनी कंफ्यूज क्यों है. इस लगातार हो रहे तबादले को देखते हुए भाजपा ने सवाल भी उठाया है कि भाजपा के खिलाफ साजिश और बदला लेने के नीयत से तबादले किए गए हैं. भाजपा  प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि लोकसभा चुनाव में फायदा लेने की नीयत से कांग्रेस अधिकारियों का तबादला कर रही है.

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद ने थोक में किए गए तबादलों के पीछे प्रशासनिक कसावट लाने की बात कही है और इसे सामान्य प्रशासनिक कवायद बताया है. वहीं एसपी नीथू कमल को डेढ़ महीने में ही बदल दिए जाने को लेकर दलील दे रहे है कि भाजपा ने ही कानून व्यवस्था का सवाल उठाया था. वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हर सरकार अपने पसंद के हिसाब से ही अधिकारियों को पदस्थ करती है और पिछली सरकारों ने भी इस तरह की पदस्थापना की है.

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